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धनतेरस जिसे “धन त्रयोदशी” भी कहा जाता है, दिवाली महापर्व की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व मुख्य रूप से धन और समृद्धि के देवता भगवान कुबेर और आयुर्वेद के देवता धन्वंतरि की पूजा के लिए मनाया जाता है। धनतेरस का महत्व आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। इस दिन लोग विशेष रूप से सोने, चांदी और धातुओं की खरीदारी करते हैं, जो समृद्धि और खुशियों का प्रतीक माना जाता है। भारतीय संस्कृति में धनतेरस पर खरीदी गई वस्तुएं लंबे समय तक सुख और समृद्धि का संचार करती हैं।

धन और समृद्धि का प्रतीक: धनतेरस पर खरीदी गई वस्तुएं, विशेषकर सोने और चांदी के आभूषण, समृद्धि और धन की वृद्धि का संकेत देते हैं। इस दिन नए आभूषण खरीदने से आर्थिक स्थिति में सुधार और समृद्धि की संभावना बढ़ती है।

धन्वंतरि की पूजा: इस दिन भगवान धन्वंतरि का स्वागत किया जाता है, जो आयुर्वेद और स्वास्थ्य का प्रतीक हैं। उनकी पूजा से अच्छे स्वास्थ्य की कामना की जाती है। इसलिए इस दिन कोई भी स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तु जैसे औषधियों का खरीदा जाना भी शुभ माना जाता है।

नई शुरुआत: धनतेरस एक नए अध्याय की शुरुआत का प्रतीक है। इसे नए सामान खरीदकर, विशेषकर घर के लिए, समृद्धि और खुशियों का स्वागत करने का अवसर माना जाता है।

आर्थिक दृष्टिकोण: इस दिन खरीदारी करना आर्थिक दृष्टि से भी लाभदायक होता है। अक्सर इस दिन बैंकों और ज्वेलरी दुकानों पर विशेष छूट या ऑफर्स होते हैं, जिससे लोग बेहतर कीमतों पर वस्तुएं खरीद सकते हैं।

परिवार का संगम: धनतेरस पर परिवार के सभी सदस्य एक साथ मिलकर खरीदारी करते हैं, जिससे पारिवारिक बंधन मजबूत होते हैं। यह पर्व आपसी प्रेम और सौहार्द को बढ़ावा देता है।

शीशे का संबंध भी राहु से है, इसकी खरीदारी से बचें। अगर शीशा खरीदें तो ध्यान रखें वह पारदर्शी अथवा धुधंला नहीं होना चाहिए।

लकड़ी से बनी वस्तुएं, तेल, घी, मक्खन और कांच का सामान बिल्कुल न खरीदें।

एल्युमिनियम के बर्तन न खरीदें। यह ऐसा धातु है जिस पर राहु का आधिपत्य होता है लगभग सभी शुभ ग्रह इससे प्रभावित होते हैं। इसी कारण अलुमिनियम का प्रयोग पूजा- पाठ और ज्योतिष की दृष्टि से नहीं किया जाता। एलुमिनियम का प्रयोग वास्तु शास्त्र, स्वास्थ्य और ज्योतिष की दृष्टि से अत्यधिक हानिकारक माना जाता है। 

नुकीला सामान जैसे चाकू, कैंची, छूरी और लोहे के बर्तन भी न खरीदें

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