राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़

ग्रैप-3 हटने के बाद राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर एक बार फिर तेजी से बढ़ने लगा है। शुक्रवार सुबह धुंध और हल्के कोहरे के बीच स्मॉग की परत साफ दिखाई दी, जिससे दृश्यता कम हो गई। इस कारण लोगों को मास्क पहनकर निकलना पड़ा और सांस के मरीजों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा। राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 369 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। गुरुवार की तुलना में AQI में 8 अंकों की गिरावट रिकॉर्ड की गई।

दिल्ली में प्रदूषण के स्रोत

वायु गुणवत्ता प्रबंधन की निर्णय सहायता प्रणाली के अनुसार राजधानी में प्रदूषण में विभिन्न स्रोतों का योगदान इस प्रकार रहा— वाहन प्रदूषण 18.099%, पराली जलाना 1.275%, निर्माण गतिविधियाँ 2.784%, पेरिफेरल उद्योग 4.152% और आवासीय क्षेत्रों से 4.626% प्रदूषण दर्ज किया गया। वहीं, सीपीसीबी के अनुसार शुक्रवार को हवा उत्तर-पश्चिम दिशा से 5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चली। अधिकतम मिश्रण गहराई 1050 मीटर और वेंटिलेशन इंडेक्स 4500 मीटर प्रति वर्ग सेकंड दर्ज किया गया।

दोपहर 3 बजे पीएम10 का स्तर 335.5 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम2.5 का स्तर 192.9 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया। सीपीसीबी ने अनुमान जताया है कि सोमवार तक हवा ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी रह सकती है, जिसके चलते सांस और आंखों से जुड़ी समस्याएँ और बढ़ सकती हैं।

एनसीआर की वायु गुणवत्ता

एनसीआर में सबसे अधिक प्रदूषण नोएडा में दर्ज किया गया, जहां AQI 388 रहा। इसके अलावा ग्रेटर नोएडा का AQI 378, गाजियाबाद का 347 और गुरुग्राम का 320 दर्ज किया गया। फरीदाबाद की हवा सबसे साफ रही, जहां AQI 190 दर्ज किया गया, जो ‘मध्यम’ श्रेणी में आता है।

दिल्ली के सबसे प्रदूषित क्षेत्र

राजधानी के कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर शुक्रवार को हवा ‘गंभीर’ और ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई। इनमें प्रमुख रूप से द्वारका सेक्टर-8 (419), रोहिणी/शादीपुर (415), जहांगीरपुरी (414), नेहरू नगर (413), मुंडका (412), पंजाबी बाग (403), अशोक विहार (400), बवाना (396), वजीरपुर (392) और चांदनी चौक (391) शामिल हैं।

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