
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क। नयी दिल्ली उच्चतम न्यायालय ने रेत माफिया पर रिपोर्टिंग करने को लेकर मध्य प्रदेश में एक पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में दो पत्रकारों के साथ कथित मारपीट के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को राज्य सरकार को नोटिस जारी किया, लेकिन उनकी गिरफ्तारी से संरक्षण संबंधी गुहार ठुकराते हुए उन्हें अंतरिम आदेश देने से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति संजय करोल और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने मध्य प्रदेश के पत्रकार शशिकांत जाटव और अमरकांत सिंह चौहान की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि जब तक अदालत को अपराध की वास्तविक प्रकृति के बारे में पता नहीं चल जाता, तब तक वह दोनों को गिरफ्तारी से संरक्षण देने वाला कोई अंतरिम आदेश पारित नहीं कर सकती।
पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा,“हम मानते हैं कि आप चौथे स्तंभ हैं, लेकिन आपको आशंकाओं को रिकॉर्ड में दिखाना होगा।”अदालत ने कहा कि आपको मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय जाने से क्या रोकता है? आपको दिल्ली उच्च न्यायालय जाने से क्या रोकता है? ये अदालत छुट्टियों में सुनवाई कर रही है। पीठ ने याचिकार्ता की अधिवक्ता से पूछा कि पुलिस अधीक्षक असित यादव के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं, लेकिन याचिका में उन्हें पक्षकार के रूप में क्यों नहीं जोड़ा गया है। पीठ की ओर से न्यायमूर्ति शर्मा ने टिप्पणी करते हुए कहा,“एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ कुछ भी आरोप लगाना बहुत आसान है।शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं के इस अनुरोध को भी ठुकरा दिया, जिसमें उन्होंने इस मामले में अगली सुनवाई की तारीख नौ जून तक गिरफ्तारी से संरक्षण देने की गुहार लगाई थी। अदालत ने याचिकाकर्ताओं की अधिवक्ता की दलीलें सुनने के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और कहा कि इस मामले में वह नौ जून को अगली सुनवाई करेगी। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि अवैध रेत खनन गतिविधियों से संबंधित (रेत माफिया के बारे में) रिपोर्टिंग करने पर मध्य प्रदेश के कुछ पुलिस अधिकारियों ने उन पर हमला किया था। अदालत के समक्ष दो जून को पत्रकारों का पक्ष रखने वाली वकील ने कहा था कि दोनों को अपने जान पर खतरा मंडरा रहा है। उन पर ‘झूठे और मनगढ़ंत’ मामलों में गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। अधिवक्ता ने उस दिन तत्काल सुनवाई की गुहार लगाई थी। उन्होंने कहा था,“यह बहुत गंभीर मामला है…उन्हें एक पुलिस कार्यालय में पीटा गया…वे अब शरण लेने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। याचिका के अनुसार मारपीट की यह घटना मई में भिंड जिले में हुई थी, जहां दोनों पत्रकारों को पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के अंदर कथित रूप से पीटा गया था।