राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। महाराष्ट्र की राजनीति में 22 जुलाई की तारीफ खास अहमियत रखती है। आज यानी की 22 जुलाई को महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार अपना 66वां जन्मदिन मना रहे हैं। अजित पवार उस राजनीतिक धारा का प्रतीक हैं, जिसने दशकों तक सत्ता के गलियारों में अपनी प्रभावी मौजूदगी को दर्ज कराने का काम किया। उन्होंने अपनी दूरदृष्टि से सत्ता के समीकरणों को कई बार पलट दिया। तो आइए जानते हैं उनके जन्मदिन के मौके पर डिप्टी सीएम अजित पवार के जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में…अहमदनगर के देओली प्रवरा गांव में 22 जुलाई 1959 को अजित पवार का जन्म हुआ था। वर्तमान समय में अजित पवार छठी बार महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम के तौर पर कार्यरत हैं। डिप्टी सीएम की कुर्सी सिर्फ सत्ता की कहानी नहीं बल्कि यह जमीनी जुड़ाव, व्यावहारिक नेतृत्व और राजनीतिक दूरदर्शिता की भी गवाही देती है। अजित पवार ‘दादा’ के नाम से भी जाने जाते हैं।
राजनीतिक सफर
शुरूआत में अजित पवार सहकारी संस्थाओं में काम करते थे। लेकिन साल 1991 में उन्होंने विधान परिषद सदस्य के रूप में महाराष्ट्र की राजनीति में औपचारिक प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने लगातार विधानसभा चुनाव जीते और सरकारों का हिस्सा बने। उन्होंने हर महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाला। अजित पवार के सियासी सफर की सबसे खास बात यह रही कि वह हमेशा प्रशासन की गति को बढ़ाने, सिस्टम को जवाबदेह बनाने और फैसलों में स्पष्टता रखने के पक्षधर रहे।बता दें कि अजित पवार राजनीतिक धुरी हैं। लेकिन 02 जुलाई 2023 को जो हुआ, उसने न सिर्फ राज्य की सियासत को झझकोर दिया बल्कि अजित पवान ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि वह सिर्फ शरद पवार के भतीजे नहीं बल्कि खुद राजनीतिक धुरी हैं। जब अजित ने चाचा और एनसीपी संस्थापक शरद पवार से अलग होकर बीजेपी-शिवसेना सरकार के साथ हाथ मिलाया, तो एक नए अजित पवार का उदय हुआ।
छठी बार डिप्टी सीएम बनें
अजित पवार एक ऐसे नेता हैं, जो अपनी राजनीतिक सोच के दम पर फैसले लेते हैं। फिर चाहे उसके लिए उनको कितनी भी आलोचना झेलनी पड़े, वह पीछे नहीं हटते हैं। अजित का यह कदम समर्थकों के लिए साहसित था और विरोधियों के लिए धोखा साबित हुआ। लेकिन सियासत में वही फैसला मायने रखता है, जो सत्ता की दिशा तय करता है। ऐसा अजित पवार ने कर दिखाया। फिर दिसंबर 2024 में जब फडणवीस के नेतृत्व में नई सरकार बनी, तो अजित पवार छठी बार उप-मुख्यमंत्री की कुर्सी पर पहुंचे।

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