राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़

भारत की राजधानी दिल्ली ने सदियों में कई शक्तिशाली साम्राज्यों का उत्थान और पतन देखा है। हर साम्राज्य ने अपने शासनकाल में इस शहर को नया रूप और अलग नाम दिया। हाल ही में चांदनी चौक से भाजपा सांसद प्रवीण खंडेलवाल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से दिल्ली का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ करने का आग्रह किया है। इसके साथ ही उन्होंने पुरानी दिल्ली स्टेशन का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ जंक्शन और दिल्ली हवाई अड्डा का नाम बदलकर इंद्रप्रस्थ अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा करने का भी प्रस्ताव रखा है।

दिल्ली के प्राचीन नाम
इतिहास के पन्नों में दिल्ली के कई नाम दर्ज हैं। महाभारत के अनुसार, यमुना नदी के किनारे पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी, जिसे दिल्ली का सबसे प्राचीन ज्ञात नाम माना जाता है। लगभग पहली शताब्दी ईसा पूर्व राजा ढिल्लु ने ढिल्लिका/ढिल्ली की स्थापना की, जो बाद में आधुनिक दिल्ली में विकसित हुआ।

मध्यकालीन नाम
11वीं शताब्दी में तोमर वंश ने पहले किला बंद शहर लालकोट बनवाया। बाद में पृथ्वीराज चौहान ने इसे किला राय पिथौरा के रूप में विस्तारित किया। गुलाम वंश में इसे किलेखोरी कहा गया। खिलजी वंश के दौरान इसे सिरी और फिर गयासुद्दीन तुगलक ने तुगलकाबाद नाम दिया। मोहम्मद बिन तुगलक ने 14वीं सदी में इसे जहांपनाह कहा।

फिरोजाबाद से शाहजहांनाबाद तक
1354 में फिरोज शाह तुगलक ने फिरोजाबाद की स्थापना की। 16वीं शताब्दी में हुमायूं और शेरशाह सूरी ने दिनपनाह और शेरगढ़ का निर्माण कराया। खिज्र खान ने इसे खिज्राबाद कहा, जबकि मुबारक शाह ने नाम बदलकर कोटला मुबारकपुर रखा। 17वीं सदी में मुगल सम्राट शाहजहां ने इसे शाहजहांनाबाद नाम दिया।

आधुनिक दिल्ली
1911 में ब्रिटिश शासन ने अपनी राजधानी कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित की और नई राजधानी नई दिल्ली की योजना बनाई। इस शहर का डिजाइन वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने तैयार किया और 1913 में इसका औपचारिक उद्घाटन हुआ। इतिहास में दिल्ली को इसके अलावा हस्तिनापुर, डैडालर, सूरजकुंड जैसे कई नामों से भी जाना गया है। यह शहर हर युग और शासन के साथ अपने आप को नया रूप देता रहा है।

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