राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के नेता जीतन राम मांझी ने केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के साथ जुड़े रहने और इसे मज़बूत करने में योगदान देने का आग्रह किया है। चिराग ने राज्य में बिगड़ती कानून-व्यवस्था को लेकर नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार की आलोचना की थी। पटना में पत्रकारों को संबोधित करते हुए मांझी ने कहा कि हम एनडीए में हैं। हमें एनडीए की मदद करनी है। हम उन्हें शुभकामनाएँ देते हैं। उन्हें एनडीए को मज़बूत करना चाहिए।एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में, मांझी ने 2020 के बिहार विधानसभा चुनावों में पासवान के राजनीतिक रुख का ज़िक्र किया और अतीत की तरह टकराव न दोहराने का आग्रह किया। मांझी ने कहा कि अगर वह 2020 की नीति नहीं अपनाते हैं, तो यह बहुत अच्छी बात होगी। वहीं, चिराग के एक बयान पर उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि मुझे ख़ुशी है कि मैं बिहार में एक ऐसी सरकार का समर्थन कर रहा हूँ जो अपराध और अपराधियों से कोई समझौता नहीं करती। जो हर अपराधिक घटनाओं का ना केवल ख़ुलासा करती है बल्कि वारदातों में शामिल अपराधियों को सलाख़ों के भीतर भेजती है। हमें गर्व है कि बिहार में NDA नेतृत्व में सुशासन की सरकार है।राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए के वर्तमान महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मांझी ने ज़ोर देकर कहा, “आज एनडीए समाज और देश के लिए ज़रूरी हो गया है। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार हर तरह का विकास कर रहे हैं। अगर कोई एनडीए का विरोध करता है, तो मुझे लगता है कि उसके मन में राज्य और देश की जनता के प्रति अच्छी भावना नहीं है और अगर इसे मज़बूत करने के लिए काम किया जा रहा है, तो हम इसकी सराहना करेंगे।” जीतन राम मांझी ने कहा कि चिराग जी का राजनीतिक करियर बहुत छोटा है। उनके पिता का लंबा राजनीतिक करियर रहा है और उन्होंने 40-45 सालों तक देखा है कि बिहार में क्या हो रहा था… चिराग पासवान इस बारे में अनभिज्ञ हैं, इसलिए वह ऐसा बोल रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इसे देखा ही नहीं है।चिराग पासवान ने अपनी पिछली टिप्पणी में कहा था कि उन्हें “ऐसी सरकार का समर्थन करते हुए दुख हो रहा है,” जो बढ़ती अपराध दर को कम करने में सक्षम नहीं है। पासवान ने कहा कि उनका मानना है कि हत्या, लूटपाट आदि जैसे बढ़ते अपराधों की खबरें विधानसभा चुनाव से पहले सरकार को बदनाम करने की एक “साजिश” हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कानून-व्यवस्था को नियंत्रित करने की ज़िम्मेदारी अंततः राज्य सरकार की ही है।

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