जब आसमान छूते पहाड़ों के बीच बादलों की चादर छाई हुई थी, तभी रियासी के कौड़ी में कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। अचानक पहाड़ों की खामोशी एक भारी गड़गड़ाहट में बदल गई। यह किसी कुदरती हलचल की आवाज नहीं थी, बल्कि यह गूँज थी उस ‘महाशक्ति’ की, जो पहली बार दुनिया के सबसे ऊंचे रेल पुल को चीरते हुए कश्मीर की ओर बढ़ रही थी।

भारतीय रेल की ओर से रियासी जिले के कौड़ी में बने विश्व के सबसे ऊंचे रेल पुल ने एक और इतिहास रचा है जब भारतीय सेना की मिलिट्री स्पैशल ट्रेन भारी भरकम टैंक, तोपें और सैन्य सामान लेकर गुजरते हुए कश्मीर पहुंची। भारतीय सेना के लिए बुधवार को मिलिट्री स्पेशल ट्रेन कश्मीर घाटी में टैंक और तोपें पहुंचना एक बड़ा लॉजिस्टिक्स मील का पत्थर साबित हुआ है जिससे उत्तरी सीमाओं पर ऑपरेशनल तैयारी को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलेगा।

सेना ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह इंडक्शन एक वैलिडेशन एक्सरसाइज के हिस्से के रूप में किया गया था, जिसके दौरान टैंक, तोपें और डोजर जम्मू क्षेत्र से अनंतनाग तक सफलतापूर्वक ले जाए गए, जो बढ़ी हुई गतिशीलता और लॉजिस्टिक्स क्षमता को दर्शाता है। सेना ने कहा कि यह कदम रेल मंत्रालय के साथ मिलकर उठाया गया जो तेज़ी से लॉजिस्टिक्स तैयार करने में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक के बड़े प्रभाव को दिखाता है।

सीमाओं पर क्षमताओं को बढ़ाना’

भारतीय सेना ने 16 दिसम्बर 2025 को एक मिलिट्री स्पेशल ट्रेन द्वारा कश्मीर घाटी में टैंक और तोपों को भेजकर एक बड़ा लॉजिस्टिक्स मील का पत्थर हासिल किया।  सेना ने यह मील का पत्थर रेल मंत्रालय के साथ मिलकर हासिल किया जो तेज़ी से लॉजिस्टिक्स तैयार करने और उत्तरी सीमाओं पर ऑपरेशनल तैयारी को मज़बूत करने में उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक (यूएसबीआरएल) प्रोजेक्ट के बड़े प्रभाव को दिखाता है। इससे पहले भारतीय सेना को स[ड़क मार्ग या हवाई मार्ग से अपनी लॉजिस्टक्स को पहुंचाना पड़ता था और मौसम खराब रहने पर दिक्कत भी आती थी। परन्तु ट्रेन से अब आवाजाही आसान होने से सेना को भी कश्मीर में अपनी रक्षात्मक तैयारियों को बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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