राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे से कई सियासी सवाल उठ रहे हैं। इन पर अटकलों का दौर भी जारी है। धनखड़ ने 20 जुलाई को अपनी पत्नी के जन्मदिन पर संसद के स्टाफ और लोकसभा टीवी के स्टाफ को लंच पार्टी दी थी। उपराष्ट्रपति रहते पहली बार इतने बड़े पैमाने पर ऐसा आयोजन किया गया था। सोमवार को मानसून सत्र के पहले दिन 11 बजे आसान पर विराजमान रहे। आठ नए सदस्यों को पद और गोपनीयता की शपथ भी दिलाई। राज्यसभा की कार्यवाही स्थगित होने के बाद भी संसद में दिखे। विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सरकार पर तीखे वार कर रहे थे। सभापति के तौर पर धनखड़ ने उन्हें बोलने का पूरा अवसर दिया। खरगे ने कहा कि ट्रम्प 26 बार कह चुके हैं कि उन्होंने मध्यस्थता कराई। एक समय तो सदन के नेता जेपी नड्डा ने यह भी कह दिया कि रिकॉर्ड में कुछ नहीं जा रहा है। ऐसी हिदायत आसन ही देता है। शाम करीब 4 बजे उनके 23 तारीख के जयपुर दौरे का कार्यक्रम भी सार्वजानिक हुआ। शाम 4.30 बजे राज्यसभा ने दौरे की सूचना सार्वजनिक की। शाम 5.30 के बाद कई विपक्षी सांसद उनसे मिले। सूत्रों के अनुसार 6 बजे के आसपास उन तक सत्ताधारी दल से संदेश गया कि जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग नोटिस के लिए जरूरी 50 की सीमा से अधिक सदस्यों के हस्ताक्षर हैं, लेकिन इनमें सिर्फ विपक्षी दल के सदस्यों के हस्ताक्षर हैं। इसके कुछ घंटे बाद धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा राष्ट्रपति को भेज दिया।
पीएम मोदी के ऑफिस में बड़ी बैठक
कयास तो बहुत सारे लग रहे हैं। लेकिन जिस गौरवशाली इतिहास को उन्होंने आगे बढ़ाया। अब सवाल ये है कि ये इस्तीफा क्यों हुआ। बता दें कि ये कोई अचानक का इस्तीफा नहीं हुआ है बल्कि प्रीप्लान है। अगर स्वास्थ्य कारण होता तो जब अस्पताल में थे तभी इस्तीफा हो गया होता। अभी दो दिन पहले जगदीप धनखड़ ने पत्नी के जन्मदिन पर पार्टी दी जिसमें 800 लोग शामिल हुए थे। मानो ये एक तरह का फेयरवेल पार्टी हो। ग्रुप फोटो सेशन भी हुआ था। फिर दो दिन पहले प्रधानमंत्री मोदी, अमित शाह, राजनाथ सिंह ने राष्ट्रपति से मुलाकात की। वहीं कहा जा रहा है कि पीएम ऑफिस में एक बड़ी बैठक चल रही है। जिसमें अमित शाह से लेकर नड्डा और निर्मला सीतारमण भी बैठीं हैं।
बिहार चुनाव पर नजर
एक अटकल यह भी चल रही है कि बिहार चुनाव से पहले धनखड़ नीतीश कुमार के लिए अगला उपराष्ट्रपति बनने का रास्ता बना सकते हैं। इस बार भाजपा बिहार में ज़्यादा सीटें जीतने की उम्मीद में है, ऐसे में नीतीश को उपराष्ट्रपति बनाना उन्हें खुश रखने की एक रणनीति हो सकती है। मंगलवार को भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर ने इस अफवाह को और हवा दे दी। ठाकुर ने संवाददाताओं से कहा कि अगर नीतीश कुमार को उपराष्ट्रपति बनाया जाता है तो यह बिहार के लिए बहुत अच्छा होगा। भाजपा के लिए, बिहार चुनाव बहुत मायने रखते हैं, जहाँ भगवा पार्टी कभी अकेले सत्ता में नहीं रही है। मंगलवार को धनखड़ राज्यसभा की कार्यवाही की अध्यक्षता नहीं कर पाए। नियमों के अनुसार, सभापति की अनुपस्थिति में, राज्यसभा की कार्यवाही उपसभापति की अध्यक्षता में होती है। जद (यू) के हरिवंश नारायण सिंह 2020 से इस पद पर कार्यरत हैं। अब हरिवंश चुनाव होने तक शेष सत्र के लिए कार्यवाही की अध्यक्षता करने के लिए तैयार हैं, इसलिए बिहार के एक नेता द्वारा उच्च सदन में फैसले लेने की संभावना चुनावों से पहले एनडीए के लिए अच्छी खबर है।
अपमान है वजह?
एक और थ्योरी जो व्यापक रूप से चर्चा में रहा है, वह है मानसून सत्र के पहले दिन की घटनाओं का सिलसिला। सोमवार को धनखड़ ने घोषणा की कि उन्हें 68 विपक्षी सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित एक नोटिस मिला है जिसमें न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा को हटाने की मांग की गई है, जिनके घर से भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी, और वह इसे स्वीकार भी कर रहे हैं। उपराष्ट्रपति द्वारा विपक्ष के नोटिस पर कार्रवाई करने की कथित जल्दबाजी, ऐसे समय में जब सरकार लोकसभा में विपक्ष द्वारा प्रायोजित एक प्रस्ताव पेश कर रही थी। सरकार की नाराजगी को और भी पुख्ता करने वाली बात यह रही कि राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू, धनखड़ द्वारा बाद में बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए। यह बैठक राज्यसभा की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की एक महत्वपूर्ण बैठक थी। यह समिति बहस और विधायी कार्यों के लिए समय के आवंटन की सिफारिश करती है। हालाँकि, नड्डा ने कहा कि मंत्री महत्वपूर्ण कार्यों में व्यस्त थे और उन्होंने राज्यसभा के सभापति को पहले ही सूचित कर दिया था। कांग्रेस ने नड्डा द्वारा दिन में पहले की गई एक टिप्पणी की ओर भी इशारा किया, जिसे उन्होंने उपराष्ट्रपति का अपमान बताया। ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच धनखड़ की ओर इशारा करते हुए नड्डा को यह कहते सुना गया, कुछ भी रिकॉर्ड में नहीं जाएगा, केवल मैं जो कहूँगा वही रिकॉर्ड में जाएगा। हालाँकि, नड्डा ने कहा कि उनकी टिप्पणी विपक्षी सांसदों के लिए थी।
न्यायपालिका के साथ लगातार टकराव
धनखड़ का ‘माई वे या हाइवे’ वाला रवैया, खासकर न्यायपालिका पर उनकी तीखी टिप्पणियों के संदर्भ में, सरकार में कुछ लोगों को नाराज़ कर रहा था। 2022 में उपराष्ट्रपति बनने के बाद से, धनखड़ ने न्यायिक अतिक्रमण की आलोचना करते हुए कोई कसर नहीं छोड़ी है और राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को रद्द करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की भी निंदा की है। इन टिप्पणियों को सरकार के रुख को प्रतिबिंबित करने वाली टिप्पणियों के रूप में देखा गया, जिससे सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ सकता है। इन सिद्धांतों के बावजूद, धनखड़ का इस्तीफा शायद उनके खराब स्वास्थ्य के कारण हुआ हो। लेकिन, जैसा कि कांग्रेस सांसद सुखदेव भगत ने कहा कि राजनीति में सब कुछ इतना सिंपल नहीं होता।
क्या है मोदी का नया प्लान?
कुछ लोग नाराजगी वाली थ्योरी दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि सरकार और उपराष्ट्रपति के बीच अहम का टकराव हुआ। वो झुकने वाले व्यक्ति नहीं है। कुछ लोग तो कह रहे हैं कि बीजेपी के साथ उनके मतभेद चल रहे थे मीमीक्री वाले प्रकरण में पार्टी साथ खड़ी नहीं हुई। जया बच्चन विवाद को लेकर भी पर्याप्त साथ नहीं मिला था। अगर नाराजगी होती तो तुरंत राष्ट्रपति उनका इस्तीफा मंजूर नहीं करती। पहले मनाने की कोशिश की जाती। बताया ये जा रहा है कि वो अब राज्यसभा में नहीं जाएंगे। कानून कहता है कि जब तक कोई दूसरा उपराष्ट्रपति नहीं बनता है वो राज्यसभा के चेयरमैन के रूप में काम कर सकते हैं। कोई फेयरवेल कार्यक्रम की जानकारी भी अबतक सामने नहीं आई है। जो भी अगला उपराष्ट्रपति इसकी जानकारी तो पीएम मोदी को ही होगी। मीडिया में अटकलों और नामों का दौर तो शुरू हो चुका है।

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