राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ । साक्षात्कार के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ भी की। साथ ही उन लोगों को करारा जवाब भी दिया, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल खड़े किए। उमा भारती ने कहा कि ऐसे लोग देश की बदनामी करते हैं, राष्ट्रीय गर्व को नहीं समझते और राजनीति करने के योग्य नहीं हैं।पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा की फायरब्रांड नेता उमा भारती ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर को वापस लेना हर भारतीय के मन में है। जब यह हो जाएगा तभी हमारा उद्देश्य पूरा होगा। इस दौरान उन्होंने पाकिस्तान द्वारा आतंकियों को सरपरस्ती देने पर भी बयान दिया। उमा भारती ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देकर खुद ही अपने पतन की ओर बढ़ रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल उठाने वालों को दिया जवाब
साक्षात्कार के दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ भी की। साथ ही उन लोगों को करारा जवाब भी दिया, जिन्होंने ऑपरेशन सिंदूर पर सवाल खड़े किए। उमा भारती ने कहा कि ऐसे लोग देश की बदनामी करते हैं, राष्ट्रीय गर्व को नहीं समझते और राजनीति करने के योग्य नहीं हैं।उन्होंने कहा कि हमारा अंतिम लक्ष्य पीओके को वापस लेना है। पीओके वापस लेने के बाद ही हमारा उद्देश्य पूरा होगा…मैं उन लोगों को जवाब नहीं देना चाहती जो भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता पर सवाल उठा रहे हैं… वे भारतीय सशस्त्र बलों का सम्मान करना नहीं जानते, और वे राजनीति करने के भी काबिल नहीं हैं। इस दौरान उमा भारती ने 1994 में संसद द्वारा पारित उस सर्वसम्मत प्रस्ताव का भी उल्लेख किया जिसमें PoK को भारत का अभिन्न हिस्सा घोषित किया गया था। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ने हमेशा पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ी है और हम ही इसे समाप्त करेगें। उन्होंने कहा कि इस समस्या का समाधान प्राकृतिक न्याय है। पाकिस्तान जब आतंकवाद के कारण खुद नष्ट होगा, तभी उसे होश आएगा।
मालेगांव ब्लास्ट केस पर बयान
साक्षात्कार के दौरान उमा भारती ने 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले पर पूछे गए सवालों के जवाब भी दिए। उन्होंने कहा कि यह हिंदुओं को बदनाम करने और तुष्टिकरण की राजनीति करने की साजिश थी। इस साजिश में शामिल लोगों को देश की प्रतिष्ठा की कोई परवाह नहीं थी। उन्हें केवल सत्ता की परवाह थी। उमा भारती ने कहा कि लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह और अन्य को निशाना बनाया गया। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित को बहुत प्रताड़ित किया गया। साध्वी प्रज्ञा सिंह को इतनी बेरहमी से प्रताड़ित किया गया कि अब वह चलने में भी असमर्थ हैं।
साध्वी प्रज्ञा की टूट गई थी रीढ़ की हड्डी
इस दौरान पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी बताया कि पूर्व लोकसभा सांसद साध्वी प्रज्ञा को इस मामले में गंभीर यातनाएं सहनी पड़ीं। भारती ने अपने सुरक्षा दल में शामिल एक अधिकारी के साथ हुई बातचीत को याद करते हुए कहा, ‘”मेरे सुरक्षा निरीक्षक, जिन्होंने विदेश में प्रशिक्षण लिया था, वहां महाराष्ट्र एटीएस के सदस्यों से मिले। एक अधिकारी ने उन्हें बताया कि साध्वी प्रज्ञा को बड़ी बेरहमी से प्रताड़ित किया गया, उन्हें 100 से ज्यादा थप्पड़ मारे गए, जिससे उनके गाल काले पड़ गए थे। उनकी रीढ़ की हड्डी लगभग टूट गई थी। उस अधिकारी ने उन्हें बताया कि उस यातना के दौरान भी वह ‘ओम’ का जाप करती रहीं।’आगे कर्नल पुरोहित के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि मैं कर्नल पुरोहित के संपर्क में नहीं हूं , लेकिन मैंने उनकी पत्नी का टेलीविजन इंटरव्यू देखा, जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके नाखून उखाड़ दिए गए थे।
मालेगांव मामले की नए सिरे से जांच की बात भी कही
इस मामले में उन्होंने नए सिरे से जांच कराने की मांग की। उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित, साध्वी प्रज्ञा सिंह के नाम क्यों जोड़े गए और असली दोषियों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया? यह जांच का विषय है और असली दोषियों को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।
मालेगांव विस्फोट में मारे गए थे छह लोग
29 सितंबर, 2008 को मालेगांव शहर के भिक्कू चौक स्थित एक मस्जिद के पास एक स्कूटर पर बंधे विस्फोटक उपकरण में विस्फोट होने से छह लोग मारे गए और 95 अन्य घायल हो गए। शुरुआत में ग्यारह लोगों को आरोपी बनाया गया था, लेकिन अंततः साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित सहित सात लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए। लेकिन 31 जुलाई 2024 को मुंबई की विशेष NIA अदालत ने सबूतों के अभाव में सभी सात लोगों को बरी कर दिया।
उतार-चढ़ाव से भरा रहा है उमा भारती का राजनीतिक जीवन
उमा भारती के राजनीतिक सफर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं। उमा भारती ने 2003 में मध्य प्रदेश में बीजेपी को जीत दिलाई थी, लेकिन आगे चलकर शिवराज सिंह चौहान सरकार के लिए वह एक चुनौती के तौर पर भी देखी गईं। इसके बाद 2012 में उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। फिर 2014 में वे झांसी से सांसद बनीं और मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनीं।

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