राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ । सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार के ग्रेट निकोबार मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को ‘योजनाबद्ध विनाश’ करार दिया है। एक अखबार में अपने लेख में सोनिया ने लिखा कि इस परियोजना से शोमपेन और निकोबारी जनजातियों के जीवन पर सीधा खतरा मंडरा रहा है।कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार के ग्रेट निकोबार मेगा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को ‘योजनाबद्ध विनाश’ करार देते हुए सोमवार को कहा कि यह योजना निकोबार द्वीप के आदिवासी समुदायों के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा है और इसे संवेदनहीनता के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने इसे देश के कानूनों और संवैधानिक प्रक्रियाओं का मजाक बताया। एक अखबार में प्रकाशित अपने लेख ‘द मेकिंग ऑफ एन इकोलॉजिकल डिजास्टर इन द निकोबार’ में सोनिया ने लिखा कि इस परियोजना से शोमपेन और निकोबारी जनजातियों के जीवन पर सीधा खतरा मंडरा रहा है। उन्होंने कहा, ‘जब इन समुदायों के अस्तित्व पर संकट हो, तब समाज का सामूहिक विवेक चुप नहीं रह सकता।’
जंगल और जीवन पूरी तरह नष्ट हो जाएगा- सोनिया
सोनिया गांधी ने बताया कि 72,000 करोड़ रुपये की इस परियोजना के तहत एक ट्रांसशिपमेंट पोर्ट, अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, पावर प्लांट और टाउनशिप का निर्माण किया जाएगा। इसके लिए 160 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र को कवर किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से निकोबारी जनजाति अपने पुश्तैनी गांवों से हमेशा के लिए विस्थापित हो जाएगी। ये गांव पहले ही 2004 की सुनामी के दौरान खाली कराए गए थे। वहीं, शोमपेन जनजाति का जंगल और जीवन पूरी तरह नष्ट हो जाएगा।सोनिया ने आरोप लगाया कि सरकार ने इस प्रक्रिया में आदिवासी अधिकारों की रक्षा के लिए बने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और स्थानीय ट्राइबल काउंसिल की सलाह नहीं ली। यहां तक कि सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट में भी इन समुदायों का जिक्र नहीं किया गया।
पुराने जंगलों का विकल्प नहीं- सोनिया गांधी
परियोजना से पर्यावरण को भी भारी नुकसान होगा। सोनिया ने बताया कि पर्यावरण मंत्रालय के अनुसार 8.5 लाख पेड़ काटे जाएंगे, जबकि स्वतंत्र आकलन के मुताबिक यह संख्या 32 से 58 लाख तक हो सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार का ‘प्रतिपूरक वनीकरण’ का वादा प्राकृतिक और पुराने जंगलों का विकल्प नहीं हो सकता।
‘यह परियोजना पर्यावरणीय आपदा और मानवीय संकट करेगी पैदा’
सोनिया ने चेताया कि यह क्षेत्र भूकंप प्रवण है, ऐसे में इतना बड़ा प्रोजेक्ट लोगों, निवेश और पर्यावरण – तीनों के लिए जोखिमपूर्ण होगा। आखिरी में उन्होंने कहा कि यह परियोजना न केवल एक पर्यावरणीय आपदा है, बल्कि यह मानवीय संकट भी पैदा करेगी। देश के सबसे कमजोर समुदायों में से एक को इसकी सबसे बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने जनता से इस अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।

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