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“राजनाथ सिंह का दावा नेहरू बाबरी मस्जिद—रक्षा मंत्री ने कहा कि पंडित नेहरू सरकारी फंड से अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते थे, लेकिन सरदार पटेल ने इस प्रस्ताव को रोक दिया। उन्होंने पटेल की धर्मनिरपेक्षता, प्रधानमंत्री पद विवाद और कश्मीर-हैदराबाद विलय पर भी खुलकर बात की।”

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का दावा नेहरू बाबरी मस्जिद को लेकर एक बड़ा राजनीतिक बयान सामने आया है। सरदार पटेल की 150वीं जयंती के तहत साधली गांव (वडोदरा) में आयोजित एकता पदयात्रा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने सरकारी फंड से बाबरी मस्जिद निर्माण का प्रस्ताव रखा था, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसे सख़्ती से रोक दिया।

“सरदार पटेल ने सरकारी पैसे से मस्जिद निर्माण नहीं होने दिया” — राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने सभा में कहा—
“नेहरू बाबरी मस्जिद को पब्लिक फंड से बनाना चाहते थे। लेकिन सरदार पटेल ने इसका कड़ा विरोध किया। पटेल ने कहा कि राज्य के संसाधनों का उपयोग किसी धार्मिक ढांचे के निर्माण में नहीं किया जा सकता।”

सिंह ने दावा किया कि जब सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का मुद्दा उठा, नेहरू ने आपत्ति जताई, लेकिन पटेल ने स्पष्ट किया कि मंदिर 30 लाख रुपये आम जनता के दान से बनाया जा रहा था—न कि सरकारी खजाने से।

“पटेल सच्चे उदार और धर्मनिरपेक्ष थे”

राजनाथ सिंह ने सरदार पटेल को “सच्चा लिबरल”, “वास्तविक सेक्युलर नेता”, “कभी तुष्टीकरण न करने वाला व्यक्ति” बताया।

उन्होंने कहा कि पटेल हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदायों के हितों के प्रति समान रूप से प्रतिबद्ध थे, लेकिन सरकारी धन के उपयोग पर उनकी नीतियाँ बेहद स्पष्ट थीं।

नेहरू–पटेल रिश्तों पर बड़ा बयान

राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कुछ ऐतिहासिक विवादों को भी उठाया—

पटेल प्रधानमंत्री बन सकते थे, लेकिन गांधीजी की सलाह पर उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया।

कांग्रेस कमेटी के अधिकांश सदस्यों ने पटेल को समर्थन दिया था।

नेहरू और पटेल में विचारधारा के मतभेद थे, लेकिन पटेल ने गांधी के कहने पर सहयोग किया।

उन्होंने कहा—
“पटेल ने पद का कभी लालच नहीं किया। यह उनके व्यक्तित्व की महानता थी।”

मेमोरियल फंड विवाद: “नेहरू ने पटेल स्मारक के पैसों से कुएं-सड़क बनवाने का सुझाव दिया”

राजनाथ सिंह ने एक और विवादास्पद घटना बताते हुए कहा कि पटेल की मृत्यु के बाद आम जनता ने स्मारक बनाने के लिए दान दिया था। लेकिन— “नेहरूजी ने कहा कि चूंकि पटेल किसानों के नेता थे, इसलिए यह पैसा गांवों में कुएं और सड़कें बनाने में उपयोग होना चाहिए।”
राजनाथ सिंह ने इसे “बेतुका” करार दिया।

भारत रत्न पर भी उठाए सवाल: “नेहरू ने खुद को सम्मानित किया”

राजनाथ सिंह ने कहा—
“नेहरूजी ने खुद को भारत रत्न से सम्मानित किया, लेकिन उस समय सरदार पटेल को यह सम्मान नहीं दे सके। प्रधानमंत्री मोदी ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बनवाकर पटेल को सही सम्मान दिया।”

कश्मीर और हैदराबाद विलय पर पटेल की भूमिका

राजनाथ सिंह ने दावा किया— यदि कश्मीर विलय के समय पटेल की सलाह मानी जाती, तो आज कश्मीर मुद्दा न होता। पटेल बातचीत और कूटनीति में विश्वास रखते थे।

उन्होंने आर्टिकल 370 को हटाने को “ऐतिहासिक” बताया और कहा कि यह निर्णय केवल पीएम मोदी जैसे नेतृत्व में संभव था।

“ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को संदेश दिया”—राजनाथ सिंह

उन्होंने कहा कि भारत अब दुश्मनों को “कड़ा जवाब देने में सक्षम” देश है और ऑपरेशन सिंदूर ने दुनिया को संदेश दिया कि भारत शांति चाहता है लेकिन उकसाने वालों को छोड़ता नहीं।

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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल

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