राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने घोषणा की कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और कहा कि वह राज्य के बेहतर भविष्य और अपने पिता रामविलास पासवान के सपनों को साकार करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) प्रमुख ने बिहार में सरकारी नौकरियों के लिए अधिवास नीति लागू करने का भी समर्थन किया। वह इसका समर्थन करने वाले एकमात्र एनडीए नेता हैं।अपने हाजीपुर लोकसभा क्षेत्र की सीमा से लगे सारण जिले में एक रैली को संबोधित करते हुए पासवान ने कहा कि लोग मुझसे पूछ रहे हैं कि क्या चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। मैं सारण से घोषणा करना चाहता हूं कि हां, चिराग पासवान बिहार के बेहतर भविष्य के लिए चुनाव लड़ेंगे।पासवान ने कहा कि मैं बिहार को नई ऊंचाइयों पर ले जाना चाहता हूं। मैं एक ऐसे भविष्य की कल्पना करता हूं जिसमें हमारे लड़के-लड़कियों को बेहतर शिक्षा और रोजगार के अवसरों की तलाश में बाहर जाने की जरूरत नहीं होगी। 42 वर्षीय चिराग पासवान ने कहा, “मैं इस शानदार सारण की धरती से यह घोषणा करके ऐसी साजिशों पर विराम लगाना चाहता हूं कि हां, मैं विधानसभा चुनाव लड़ूंगा। मैं सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ूंगा। हर क्षेत्र में चिराग पासवान पूरी ताकत से लड़ते नजर आएंगे।”चिराग पासवान ने आगे कहा कि अधिवास नीति 2006 में शुरू की गई थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद विपक्षी दलों ने इसे वापस ले लिया। उन्होंने कहा, “राजद और कांग्रेस कभी भी राज्य के युवाओं की बेहतरी के बारे में नहीं सोचते। वे हमेशा लोगों को गुमराह करते हैं। अगर वे सत्ता में आते हैं, तो वे विरासत कर के ज़रिए आपकी आधी से ज़्यादा संपत्ति हड़प लेंगे।” राज्य में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली मौजूदा एनडीए सरकार ने डोमिसाइल नीति लागू करने की संभावना से इनकार करते हुए कहा है कि ऐसा कदम संविधान के खिलाफ होगा।पासवान ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) की आलोचना की और आरोप लगाया कि बिहार के विकास की बात करने वाले लोग ही अब 90 के दशक में राज्य को बर्बाद कर चुके हैं। पासवान ने कहा कि आगामी चुनाव महत्वपूर्ण हैं। इन्हें जीतने के बाद हम ऐसा माहौल बनाने का प्रयास करेंगे, जिसमें लोग बिना किसी डर और सुरक्षा चिंताओं के किसी भी समय अपने घरों से बाहर निकल सकें। वे अपने अलग हुए चाचा पशुपति कुमार पारस को विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक में शामिल होने के प्रस्ताव से भी नाराज दिखे। अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान के छोटे भाई का नाम लिए बिना उन्होंने याद किया, “मुझे अपनी ही पार्टी से निकाल दिया गया और अपना घर खाली करने को कहा गया।”

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