राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क लखनऊ। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश की आज ऑनलाइन हुई प्रांत व्यापी बैठक में 22 जून को लखनऊ में होने वाली बिजली महापंचायत की तैयारी की समीक्षा की गई और महापंचायत में रखे जाने वाले प्रस्ताव पर चर्चा हुई। उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मियों के समर्थन में आंदोलन का निर्णय लेने के लिए नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लाइज एंड इंजीनियर्स की कोर कमेटी की 09 जून को दिल्ली में महत्वपूर्ण बैठक हो रही है। संघर्ष समिति ने निजीकरण को लेकर पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन से आज 05 और सवाल पूछे।बिजली कर्मचारियों और अभियंताओं की राष्ट्रीय समन्वय समिति नेशनल कोऑर्डिनेशन कमिटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स की कोर कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक 09 जून को दिल्ली में हो रही है। इस बैठक में पिछले 06 महीने से उत्तर प्रदेश में चल रहे निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों के आंदोलन की समीक्षा की जाएगी और समर्थन में राष्ट्रीय स्तर पर आंदोलन के कार्यक्रम तय किए जाएंगे। कोऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज (एटक), इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया (सीटू), इंडियन नेशनल इलेक्ट्रिसिटी वर्कर्स फेडरेशन (इंटक), ऑल इंडिया पावर मेंस फेडरेशन और कुछ अन्य बिजली कर्मी संगठनों के राष्ट्रीय पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। इस बैठक का मुख्य एजेंडा उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के विरोध में चल रहे आंदोलन को राष्ट्रव्यापी आंदोलन बनाना और समर्थन देना है।विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश के प्रांतीय पदाधिकारियों की आज ऑनलाइन मीटिंग हुई। इस मीटिंग में निजीकरण के विरोध में विगत छह माह से चल रहे आंदोलन की समीक्षा की गई और आगामी 22 जून को लखनऊ में होने वाली किसानों, उपभोक्ताओं और बिजली कर्मियों की महापंचायत की तैयारी और महापंचायत में रखे जाने वाले प्रस्तावों पर चर्चा हुई।ऑनलाइन बैठक में सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर से संकल्प व्यक्त लिया कि छह माह तो कुछ भी नहीं है, निजीकरण के विरोध में आंदोलन तब तक चलता रहेगा जब तक निजीकरण का फैसला पूरी तरह वापस नहीं लिया जाता।

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