रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन युद्ध को लेकर एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए चेतावनी दी है कि यदि शांति वार्ता विफल होती है, तो रूस यूक्रेन में अपनी सैन्य बढ़त को और आगे बढ़ाएगा। शीर्ष सैन्य अधिकारियों के साथ वार्षिक बैठक में पुतिन ने कहा कि रूस कूटनीतिक समाधान को प्राथमिकता देता है, लेकिन अगर यूक्रेन और उसके पश्चिमी समर्थक रूस की शर्तों को मानने से इनकार करते हैं, तो मॉस्को सैन्य ताकत से अपने लक्ष्य हासिल करेगा।पुतिन ने दावा किया कि रूसी सेना इस समय पूरे मोर्चे पर रणनीतिक बढ़त बनाए हुए है और रूस अपनी सीमा के पास एक “सुरक्षा बफर ज़ोन” को और विस्तारित करेगा। उन्होंने कहा, “हमारी सेना अब युद्ध में तप चुकी है। आज दुनिया में ऐसी कोई दूसरी सेना नहीं है।”

परमाणु हथियारों का संकेत
पुतिन ने रूस की बढ़ती सैन्य शक्ति की सराहना करते हुए बताया कि देश अपने परमाणु शस्त्रागार को आधुनिक बना रहा है। उन्होंने विशेष रूप से नई परमाणु क्षमता वाली ‘ओरेशनिक’ बैलिस्टिक मिसाइल का ज़िक्र किया, जो इसी महीने युद्ध ड्यूटी में शामिल की जाएगी। रूस पहले ही नवंबर 2024 में इसका पारंपरिक संस्करण यूक्रेन के एक कारखाने पर इस्तेमाल कर चुका है।

शांति वार्ता पर गतिरोध
यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका, यूरोप और यूक्रेन के बीच अमेरिकी मसौदे वाले शांति प्रस्ताव पर बातचीत चल रही है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने कहा है कि प्रस्ताव जल्द अंतिम रूप ले सकता है, लेकिन क्षेत्रीय नियंत्रण का मुद्दा अब भी सबसे बड़ा रोड़ा बना हुआ है। पुतिन की मांग है कि  यूक्रेन के चार क्षेत्रों और  2014 में कब्जाए गए क्रीमिया  को रूस का हिस्सा मान्यता दी जाए। इसके अलावा, रूस चाहता है कि यूक्रेन NATO में शामिल होने का विचार छोड़ दे। रूस ने चेतावनी दी है कि यदि NATO देशों की सेनाएं यूक्रेन में तैनात होती हैं, तो उन्हें “वैध सैन्य लक्ष्य” माना जाएगा। ज़ेलेंस्की ने संकेत दिया है कि अगर पश्चिमी देश NATO जैसी सुरक्षा गारंटी दें, तो यूक्रेन NATO सदस्यता छोड़ सकता है, लेकिन उन्होंने रूस की क्षेत्रीय शर्तों को सिरे से खारिज कर दिया है।

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