राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने रिलायंस समूह के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक अनिल अंबानी को कथित ₹17,000 करोड़ के ऋण धोखाधड़ी मामले की चल रही जाँच के सिलसिले में पूछताछ के लिए तलब किया है। वित्तीय अपराध जांच एजेंसी ने पिछले हफ़्ते रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह की कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारियों समेत 50 कंपनियों और 25 लोगों के ठिकानों पर छापे मारे। जांच के घेरे में आए दो ऋण यस बैंक द्वारा आरएचएफएल और आरसीएफएल को दिए गए थे।ईडी ने रिलायंस समूह के अध्यक्ष अनिल अंबानी को उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित ऋण धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में 5 अगस्त को पूछताछ के लिए तलब किया है। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार (1 अगस्त, 2025) को यह जानकारी दी। सूत्रों ने कहा कि मामला दिल्ली में दर्ज होने की वजह से अंबानी (66) को दिल्ली स्थित ईडी मुख्यालय बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि एजेंसी अंबानी के पेश होने पर धनशोधन निवारण अधिनियम के तहत उनका बयान दर्ज करेगी।उनके समूह की कंपनियों के कुछ अधिकारियों को भी अगले कुछ दिन में पेश होने के लिए कहा गया है। पिछले सप्ताह संघीय एजेंसी ने 50 कंपनियों के 35 परिसरों और अनिल के व्यापारिक समूह के अधिकारियों समेत 25 लोगों के परिसरों पर छापे मारे थे। 24 जुलाई को शुरू हुई यह छापेमारी तीन दिन तक जारी रही थी। यह कार्रवाई रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (आर इन्फ्रा) समेत अनिल अंबानी की कई समूह कंपनियों द्वारा कथित वित्तीय अनियमितताओं और 17,000 करोड़ रुपये से अधिक के सामूहिक ऋण को किसी और काम में इस्तेमाल करने के लिए की गई।सेबी की एक रिपोर्ट के आधार पर, एजेंसी ने पाया कि आर इंफ्रा ने सीएलई नामक एक कंपनी के माध्यम से रिलायंस समूह की कंपनियों में इंटर-कॉर्पोरेट डिपॉजिट(आईसीडी) के रूप में धनराशि हस्तांतरित की। आरोप है कि आर इंफ्रा ने शेयरधारकों और ऑडिट पैनल की मंजूरी से बचने के लिए सीएलई को अपनी संबंधित पार्टी के रूप में प्रकट नहीं किया।रिलायंस समूह के एक प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि 10,000 करोड़ रुपये की राशि किसी अज्ञात पक्ष को कथित रूप से हस्तांतरित करने का आरोप 10 साल पुराना मामला है। प्रवक्ता ने कहा कि कंपनी ने अपने वित्तीय विवरणों में बताया था कि उसका बकाया केवल 6,500 करोड़ रुपये के आसपास है। बयान में कहा गया है कि रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (आर इन्फ्रा) ने लगभग छह महीने पहले, 9 फरवरी, 2025 को इस मामले का सार्वजनिक रूप से खुलासा किया था।प्रवक्ता ने कहा, “ उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा आयोजित और बंबई उच्च न्यायालय में दायर अनिवार्य मध्यस्थता कार्यवाही के माध्यम से, रिलायंस इंफ्रा ने 6,500 करोड़ रुपये के अपने पूरे बकाये की वसूली के लिए एक समझौता किया।” कंपनी ने कहा कि अनिल अंबानी तीन साल (मार्च 2022) से अधिक समय से आर इन्फ्रा के बोर्ड में नहीं हैं। ईडी 2017-2019 के बीच अंबानी की समूह कंपनियों को यस बैंक से मिले लगभग 3,000 करोड़ रुपये के अवैध ऋण को दूसरे कामों में इस्तेमाल करने के आरोपों की भी जांच कर रही है।सूत्रों के अनुसार, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पाया है कि ऋण दिए जाने से ठीक पहले, यस बैंक के प्रवर्तकों ने अपने प्रतिष्ठानों में धन प्राप्त किया था। एजेंसी रिश्वत और इस गठजोड़ की जांच कर रही है। सूत्रों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय इन कंपनियों को यस बैंक की ओर से ऋण देने से जुड़ी मंजूरियों में घोर उल्लंघनों के आरोपों की भी जांच कर रहा है। इसमें पिछली तारीख के ऋण अनुमोदन ज्ञापन और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए बिना किसी उचित जांच/ऋण विश्लेषण के प्रस्तावित निवेश जैसे आरोप शामिल हैं।

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