• June 5, 2024
  • kamalkumar
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 राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

हरियावां। बेसहारा मवेशियों को संरक्षित करने के लिए सरकार ने बड़ी संख्या में गौशाला की स्थापना करा दी है, लेकिन अनदेखी की वजह से इनमें बंधे बेसहारा और बेजुबान पशुओं का हाल बेहाल है। गौशालाओं में बंधे बेहारा पशु बिना पानी और चारा तथा इलाज के अभाव में मरणासन्न हालत में दम तोड़ की कगार पर हैं। इतना ही नहीं मरणासन्न  गायों की व्यवस्था नहीं होने की वजह से  पशु आश्रय केंद्र पर कुत्ते और चील-कौवे नोचते दिखे। यही हाल हरियावा विकासखंड के मनीपुर की गौशाला में देखने को मिला। तेज धूप में भूख प्यास से तड़प कर  मरणासन्न हालत गाय को कुत्ते नोच रहे हैं।भूख-प्यास से मरणासन्न के बाद दिखी संवेदनहीनता भी यह दुखद हाल है। हरियावा में विकास खंड ग्राम पंचायत  कटिघरा के पास मनीपुर की गौशाला का।


पता चला है कि यहां तीन दिनों से लगातार भूख प्यास से तड़प-तड़प कर गाय मरणासन्न स्थिति से गुजरकर की मौत की कगार से गुजर रही है। इस गौशाला में न तो कोई देखरेख करने वाला है और न ही बीमार गायों की कोई चिकित्सा सुविधा उपलब्ध हो पा रही है। भूख प्यास से तड़प कर मरणासन्न  हालत में पड़ी गाय को चील कौवे और कुत्ते नोच रहे हैं।यही नहीं, पशु आश्रय केंद्र का संचालन करने वाले अधिकारियों कर्मचारियों की संवेदनहीनता की पराकाष्ठा तब देखने को मिली, जब गोशाला के अंदर मरणासन्न गाय को कुत्ता तथा कौवा नोचते दिखे। हालांकि गाय की कुछ सांसे चल रही थी परंतु वह कुत्तों से संघर्ष करने में मजबूर थी। इससे तो यही साबित होता है कि गौशाला के जिम्मेदार लोग शायद यहां आते ही नहीं हैं। अन्यथा कम से कम मरणासन्न व  बीमार गायों की देखरेख तो हो सकती थी।गौशाला की जिम्मेदारी ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत विकास अधिकारी की होती है। इनकी निगरानी में गौशाला का संचालन होता है।

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