राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के लिए एक बार फिर से उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का नाम आगे चल रहा है। हम आपको बता दें कि अक्सर संगठन को सरकार से बड़ा बताने संबंधी बयान देने वाले केशव प्रसाद मौर्य ने मंगलवार शाम नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके आवास पर मुलाक़ात की। इसके बाद से माना जा रहा है कि वह भूपेन्द्र चौधरी की जगह उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाये जा सकते हैं। हम आपको बता दें कि भूपेन्द्र चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष का कार्यकाल खत्म हो चुका है।जहां तक अमित शाह और केशव प्रसाद मौर्य के बीच बैठक की बात है तो इसके बारे में बताया जा रहा है कि 2027 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव और पंचायत चुनावों के संबंध में दोनों नेताओं ने विस्तार से चर्चा की। दोनों नेताओं ने आगामी चुनावों से संबंधित संगठनात्मक और चुनावी रणनीतियों पर भी गहन विचार-विमर्श किया। बताया जा रहा है कि इस दौरान उत्तर प्रदेश में संभावित मंत्रिमंडल पुनर्गठन और विस्तार पर भी चर्चा हुई। हम आपको बता दें कि यह मुलाक़ात केवल चुनाव रणनीति तक सीमित नहीं थी बल्कि यह भाजपा संगठन और कैबिनेट की संरचना को लेकर अमित शाह के केशव प्रसाद मौर्य पर बढ़ते भरोसे का संकेत भी है।हम आपको याद दिला दें कि पिछले महीने जब अमित शाह 60 हजार से अधिक नवनियुक्त पुलिसकर्मियों को नियुक्ति पत्र वितरित करने के लिए लखनऊ आये थे तब उन्होंने उस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केशव प्रसाद मौर्य के लिए ‘मेरे मित्र’ शब्द का उपयोग किया था। इस पर संवाददाताओं से बातचीत में केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि मेरे लिए तो अमित शाह गुरु के समान हैं। उन्होंने बताया था कि अमित शाह जब उत्तर प्रदेश के प्रभारी हुआ करते थे, तभी मुझे फूलपुर लोकसभा सीट से टिकट मिला था। उन्होंने कहा था कि मैंने फूलपुर से चुनाव जीता और जब अमित शाह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने तब मुझे प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने कहा था कि राजनीति में जो कुछ भी सीखा है, वह अमित शाह के मार्गदर्शन में ही सीखा है। उन्होंने कहा था कि अमित शाह को राजनीति का चाणक्य कहा जाता है और मुझे गर्व है कि मुझे उनका करीब से मार्गदर्शन मिलता है।हम आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में केशव प्रसाद मौर्य ओबीसी समुदाय के प्रमुख नेता हैं। अमित शाह और मौर्य की मुलाकात से प्रतीत हो रहा है कि उत्तर प्रदेश के बदलते सियासी समीकरणों में केशव प्रसाद फिर से पार्टी का चेहरा बन सकते हैं। हम आपको याद दिला दें कि 2016-17 के दौरान केशव प्रसाद मौर्य के अध्यक्षीय कार्यकाल के दौरान 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जबरदस्त सफलता हासिल की थी। मौर्य OBC (ख़ास तौर पर गैर-यादव) वोटों को जोड़ने में भाजपा का प्रमुख चेहरा रहे हैं। यह वर्ग वर्तमान में यूपी की जनसंख्या का लगभग 30-35% है। यदि केशव प्रसाद मौर्य को फिर से राज्य में पार्टी की कमान सौंपी जाती है तो यह गैर-यादव ओबीसी मतदाताओं के बीच भाजपा की पैठ बढ़ाने में सहायक सिद्ध हो सकते हैं। हम आपको याद दिला दें कि पिछले लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा का ग्रामीण क्षेत्रों और ओबीसी के बीच आधार काफी खिसका था जिसे वापस पाने के लिए पार्टी प्रयासरत है। इसके अलावा, केशव प्रसाद मौर्य के पक्ष में जो बात जाती है वह यह है कि एक तो उनके पास संगठनात्मक अनुभव है, OBC जनाधार है और उनमें नेतृत्व की महत्वाकांक्षा भी है। साथ ही वह प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति में भी फिट बैठते हैं।

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