राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों के निजीकरण के मसौदे पर उत्तर प्रदेश सरकार ने सभी संवैधानिक व वित्तीय पहलुओं पर सलाह मांगी थी। इसके विरोध में लगातार उपभोक्ता परिषद विद्युत नियामक आयोग के सामने आधा दर्जन से ज्यादा लोग महत्व प्रस्ताव व आपत्तियां दाखिल कर लगातार पूरी प्रक्रिया को असंवैधानिक करार दे रहा था। अंततः आज प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई। उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने सरकार द्वारा भेजे गए निजीकरण के मसौदे पर बड़े पैमाने पर वित्तीय व संवैधानिक कर्मियों का खुलासा करते हुए एक भारी भरकम कर्मियों से संबंधित अपनी अंतरिम रिपोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार के ऊर्जा विभाग को भेजी है। इसकी भनक लगते ही उपभोक्ता परिषद ने प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं को कहा अंतत विद्युत नियामक आयोग ने सच्चाई का खुलासा कर दिया है। अब उत्तर प्रदेश सरकार को तत्काल इस मसौदा को तैयार करने वाले सभी उच्च अधिकारियों के खिलाफ उच्च स्तरीय जांच बैठाकर कठोर कार्रवाई करना चाहिए। जरूरत पड़ने ऐसे उच्च अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए। जिनके द्वारा देश के बड़े निजी घरानो के हित में पूरा प्रस्ताव तैयार किया गया। उपभोक्ता परिषद एक बार फिर उत्तर प्रदेश सरकार से पूरे मामले की सीबीआई जांच करने की मांग की है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उपभोक्ता परिषद पहले ही कह चुका था कि पूरा मसौदा आसंवैधानिक है। अंतत उसमें जिस प्रकार से वित्तीय वह संवैधानिक अनियमिताओं का खुलासा हुआ है उसे या सिद्ध हो गया है कि बड़े पैमाने पर उद्योगपतियों को बड़ा लाभ देने की साजिश की गई थी। लेकिन उपभोक्ताओं के हित में विद्युत नियामक आयोग ने सही फैसला लिया। उपभोक्ता परिषद के संज्ञान में आया है कि विद्युत नियामक आयोग ने अभी फौरी तौर पर अपनी अंतिम रिपोर्ट सरकार को भेजी है। जब अंतिम वृहद रिपोर्ट भेजेगा तो शायद सभी उच्च अधिकारी जो इसमें शामिल है उनका फसना तय है। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा चाहे भविष्य में विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 108 के तहत निजीकरण में अनेकों निर्देश उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोग को दिए जाने का मामला, वितरण हानियां में अगले 5 सालों में 3 प्रतिशत से भी काम वितरण हानियों को कम करने के टारगेट, आरडीएसएस में पूरे खर्च को लोन में कन्वर्ट करने,बिजली कंपनियों की संपत्ति कम आंकड़े, इक्विटी कम आंकने, बकाया पर वसूली, उपभोक्ताओं के सर प्लस का मामले सहित अनेकों संवैधानिक मामलों पर भी विद्युत नियामक आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को गंभीर अंतरिम रिपोर्ट भेजा है। जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार में हड़कंप मच गया। पावर कॉरपोरेशन की पूरी टीम दिल्ली में निजीकरण पर बैठक कर रही थी वहां से निर्देश जारी होने वालों की रिपोर्ट किसी भी हालत में कोई जान ना पाए उसे गोपनीय रखा जाए। सवाल यह उठता है कि कोई भी रिपोर्ट जो आम जनता के हित में बनी है जैसा पावर कॉरपोरेशन प्रोपेगेंडा करता रहा उसे गोपनीय क्यों रख रहे हैं। उसका खुलासा किया जाए।

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