राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। राजधानी लखनऊ के साइबर थाना पुलिस ने क्रिप्टो ट्रेडिंग से करोड़ों रुपए की ठगी करने वाले गिरोह के आठ जालसाजों को गिरफ्तार किया है। आरोपी सुशांत गोल्फ सिटी इलाके के एक होटल में दो महीने से ठहरकर ठगी कर रहे थे। पुलिस जालसाजों के अन्य नेटवर्क के बारे में जांच कर रही है। एडीसीपी क्राइम ने बताया कि पुलिस को सूचना मिली कि सुशांत गोल्फ इलाके में साइबर ठगी का एक गैंग एक्टिव है। गैंग फर्जी बैंक अकांउट के लिए लोगों को बुलाता है। खाता धारक को अपने साथ घुमाता है। इस दौरान एक टीम ठगी करती है। खाते में आए ठगी का पैसा लेकर उस व्यक्ति को कमीशन देकर भेज देते हैं। सूचना के आधार साइबर थाना इंस्पेक्टर बृजेश यादव, साइबर सेल टीम और गोसाईंगंज टीम ने जांच शुरू की। शुक्रवार को पुलिस टीम ने सुल्तानपुर गब्बर ढाबे के पास जालसाजों को पकड़ा। जो कार से घूमकर अपने क्लाइंट का इंतजार कर रहे थे। इसके बाद उनकी निशानदेही पर पुलिस फ्रेंड्स कॉलोनी सुशांत गोल्फ सिटी स्थित होटल पहुंची। जहां से सब ठगी कर रहे हैं। पुलिस ने कुल 8 जालसाजों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने जैतीखेड़ा मोहनलालगंज निवासी सत्यम तिवारी (21), दुबोलिया बाजार बस्ती दिवाकर निवासी विक्रम सिंह (21), रायबरेली निवासी सक्षम तिवारी (21), वजीरगंज गोंडा निवासी विनोद कुमार (24), जानकीमुरम निवासी क्रिश शुक्ला (25), बाराबंकी निवासी मोहम्मद शाद (31) मनिकापुर गोंडा निवासी लईक अहमद (32) और नीलमथा बाजार कैंट निवासी मनीष जायसवाल (40) को गिरफ्तार किया गया। पुलिस पूछताछ में बताया कि पिछले दो महीने से लखनऊ में रह रहे हैं। दो महीने में लगभग 75-80 लाख रुपए क्रिप्टो ट्रेडिंग के बहाने से बैंक अकाउंट के जरिए ट्रांसफर कर चुके हैं। पूरा ऑपरेशन टेलीग्राम चौनलों के जरिए संचालित करते हैं, जो मुख्य रूप से चीनी नागरिकों या उनके रिप्रेसंटेटर द्वारा चलाया जाता है। हैंडलर टीआरसी-20 नेटवर्क के माध्यम से यूपीएसडीटी ट्रेडर्स की बातचीत करते। अपनी पहचान छुपाने के लिए यूजरनेम बार-बार बदले जाते हैं। स्थानीय एजेंट लेनदेन के लिए भारतीय नागरिकों के बैंक खातों का इस्तेमाल करते। खाते में आए रुपए के हिसाब से कमीशन देते। जालसाज खाता धारकों को बताकर रखते थे कि उनके खाते लेनदेन के बाद फ्रीज हो सकते हैं। जिस दिन ठगी करते उस दिन तुरंत पैसा निकलवाने के लिए एजेंट अकाउंट होल्डर को बैंकों में ले जाते हैं। ठगी की रकम को नीफट,आरटीजीएस,आईएमपीएस के जरिए रुपए बैंक में जमा करवाई जाती है। उसी दिन सारे रुपए नगद निकाल ली जाती। गोपनीयता बनाए रखने के लिए ये लोग सामान्य से अधिक विनिमय दरों पर भी क्रिप्टो वॉलेट का इस्तेमाल करते हैं। क्रिप्टो वॉलेट में पहचान सत्यापन (केवाईसी) की आवश्यकता नहीं होती और इन्हें एजेंसियां आसानी से ट्रैक नहीं कर पाती हैं। इन वॉलेट्स और एक्सचेंजों को ट्रेस करना बहुत कठिन होता है। ये ग्लोबल नेटवर्क पर आधारित होता है। किसी एक देश के अधिकार क्षेत्र में नहीं आते।

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