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“टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर ने बेलडांगा में नई बाबरी मस्जिद से पहले सामूहिक कुरान पाठ का ऐलान किया। गीता, राम मंदिर का आदर करते हुए सुरक्षा मांगी।”

अभयानंद शुक्ल
समन्वय सम्पादक

टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर इन दिनों पश्चिम बंगाल की राजनीति के सबसे चर्चित चेहरों में शामिल हैं। बाबरी मस्जिद निर्माण, गीता पाठ और राम मंदिर को लेकर दिए गए उनके हालिया बयान राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ चुके हैं।

7 दिसंबर को कोलकाता में हुए सामूहिक गीता पाठ के जवाब में अब हुमायूं कबीर ने घोषणा की है कि बेलडांगा में प्रस्तावित नई बाबरी मस्जिद के निर्माण से पहले सामूहिक कुरान पाठ करवाया जाएगा। उनका दावा है कि इस कार्यक्रम में एक लाख से अधिक लोग शामिल होंगे।

गीता और राम मंदिर का सम्मान—विवाद से बचने की रणनीति?

हुमायूं कबीर लगातार कुरान पाठ की घोषणा कर रहे हैं, लेकिन इसके साथ-साथ वे राम मंदिर और गीता का उल्लेख भी बड़े आदर से करते हैं।
उन्होंने कहा—

“अगर उन्होंने पवित्र गीता का पाठ किया है तो हम भी कुरान का सामूहिक पाठ करेंगे। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।”

यानी वे मुसलमानों के धार्मिक मुद्दे को मजबूती से उठाते हुए भी हिंदू समाज को नाराज़ नहीं करना चाहते।

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि—

“उनके अंदर आज भी कुछ ‘भाजपाई संस्कार’ दिख जाते हैं, क्योंकि वे भाजपा से टिकट लेकर लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं।”

इसी वजह से कांग्रेस के कई नेता उन्हें “भाजपा का एजेंट भी बताते हैं।

‘हिंदू राष्ट्र नहीं बनने देंगे’—कबीर का तीखा बयान

हुमायूं कबीर ने कट्टर हिंदुत्व की राजनीति पर भी निशाना साधते हुए कहा—

“कोई भी भारत को हिंदू राष्ट्र नहीं बना सकता। हम किसी का भी यह सपना पूरा नहीं होने देंगे।”

उन्होंने सिर्फ बेलडांगा ही नहीं, बल्कि मालदा और बीरभूम में भी नई बाबरी मस्जिद बनाने की बात कही है।

राम मंदिर निर्माण का विरोध नहीं—साफ संकेत

जब भाजपा नेता सुकांत मजूमदार ने मुर्शिदाबाद में राम मंदिर निर्माण की घोषणा की थी, तब हुमायूं कबीर ने इसका विरोध नहीं किया।
उन्होंने कहा—

“उन्हें जहां राम मंदिर बनाना है बनाएं, हमें कोई दिक्कत नहीं। हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।”

यह बयान उन्हें अन्य मुस्लिम नेताओं से बिल्कुल अलग खड़ा करता है।

धमकियाँ, सुरक्षा की मांग और ‘नोटों से भरे बक्से’

हुमायूं कबीर ने दावा किया कि—

  • नई बाबरी मस्जिद के लिए भारी चंदा मिला है
  • नोट गिनने में लोग थक गए, इसलिए नोट गिनने की मशीन मंगानी पड़ी
  • उन्हें फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है
  • उन्होंने पुलिस में शिकायत देकर सुरक्षा मांगी है
  • सुरक्षा न मिलने पर वे कोर्ट जाने की बात भी कह चुके हैं

यानी कबीर चर्चा में बने रहने के हर राजनीतिक हथकंडे आजमा रहे हैं।

हुमायूं कबीर की राजनीति एक मिश्रित रणनीति पर चलती दिख रही है—

  • मुसलमानों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करना,
  • हिंदू समुदाय को नाराज़ न करना,
  • और सभी मुद्दों पर खुद को केंद्र में रखना।

उनके हालिया बयान यह संकेत देते हैं कि वे “कट्टर मुस्लिम नेता” की छवि बनाने के साथ साथ “धर्मों का आदर करने वाले नेता” के रूप में भी स्थान बनाना चाहते हैं।

“देश-दुनिया से जुड़े राजनीतिक और सामयिक घटनाक्रम की विस्तृत और सटीक जानकारी के लिए ‘राष्ट्रीय प्रस्तावना’ के साथ जुड़े रहें। ताज़ा खबरों, चुनावी बयानबाज़ी और विशेष रिपोर्ट्स के लिए हमारे साथ बने रहें।”

विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल

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