राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क जौनपुर। बयालसी शैक्षणिक समिति जलालपुर से जुड़े शिक्षा जगत में एक बार फिर विवाद ने तूल पकड़ लिया है। संस्था के संरक्षक एवं पूर्व सचिव डॉ. विजय प्रताप सिंह ने दो दिन पूर्व बयालसी बचाव संघर्ष समिति व पूर्व विधायक डॉ.हरेंद्र प्रताप सिंह और कार्यवाहक प्राचार्या डॉ. अलकेश्वरी सिंह द्वारा लगाए गए आरोपों पर पलटवार करते हुए दोनों लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने इस पूरे प्रकरण को एक सोची-समझी साजिश बताया और कहा कि इसमें पूर्व विधायक हरेन्द्र प्रसाद सिंह और अमोद कुमार सिंह उर्फ रिंकू सिंह भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से शामिल हैं। डॉ. सिंह ने 15 जून 2025 को मीडिया में डॉ. अलकेश्वरी सिंह द्वारा दिए गए बयान को दुर्भावनापूर्ण और असत्य बताया। उन्होंने कहा कि दिनांक 02 अप्रैल 2025 को विश्वविद्यालय द्वारा मान्यता प्राप्त प्रबंध समिति के गठन के बाद से ही डॉ. अलकेश्वरी सिंह का रवैया असहयोगात्मक और अड़चन उत्पन्न करने वाला रहा है। डॉ. विजय प्रताप सिंह ने प्राचार्या के उस आरोप को पूरी तरह खारिज किया जिसमें उन्होंने पूर्व प्रबंधकों और प्राचार्यों पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया था। डॉ. सिंह के अनुसार, बिना लेखा परीक्षण के आरोप लगाना भ्रामक और संस्था की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अभी तक लेखा परीक्षण की कोई प्रमाणिक रिपोर्ट उन्हें या समिति को नहीं सौंपी गई है। डॉ. सिंह ने आरोप लगाया कि इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में धारा-57 के तहत कार्रवाई की सूचना प्रसारित की गई, लेकिन न तो उन्हें और न ही समिति के सचिव को इस बाबत कोई आधिकारिक नोटिस प्राप्त हुई है। यदि ऐसी कोई नोटिस भविष्य में प्राप्त होती है, तो उसका विधिवत जवाब दिया जाएगा।डॉ. विजय प्रताप सिंह ने अपने बयान में पूर्व विधायक श्री हरेन्द्र प्रसाद सिंह और श्री अमोद कुमार सिंह उर्फ रिंकू सिंह पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों लोग डॉ. अलकेश्वरी सिंह के साथ मिलकर षडयंत्र रच रहे हैं और संस्था की कार्यप्रणाली में व्यवधान उत्पन्न कर रहे हैं। उन्होंने पूर्व विधायक पर अमर्यादित भाषा और धमकी देने का आरोप लगाते हुए कहा कि ऐसे तत्वों की ‘दहशतगर्दी’ अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।प्रेस बयान के अनुसार, डॉ. अलकेश्वरी सिंह के खिलाफ 15 गंभीर आरोप हैं, जिनकी जांच रिपोर्ट समिति की बैठक में प्रस्तुत की जा चुकी है और उस पर कार्रवाई भी प्रारंभ हो चुकी है। बैठक में उनके खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है, लेकिन वे स्वयं प्रबंध समिति की बैठकों में उपस्थित नहीं हो रही हैं। इससे उनके रवैये की गंभीरता का पता चलता है।डॉ. सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि महाविद्यालय में न तो किसी प्रकार का गबन हुआ है, न ही कोई वित्तीय अनियमितता। उन्होंने कहा कि बार-बार प्रयास के बावजूद प्राचार्या डॉ. अलकेश्वरी सिंह के कार्यकाल की लेखा परीक्षा नहीं करवाई जा सकी, जिससे कई सवाल खड़े होते हैं।अंत में, डॉ. विजय प्रताप सिंह ने मांग की कि इस प्रकरण की निष्पक्ष जांच करवाई जाए और यदि पूर्व विधायक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने की जानकारी मिलती है तो उसकी भी जांच होनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि संस्था की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।

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