पंजाब के मुख्यमंत्री और प्रमुख विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार के चंडीगढ़ के संबंध में प्रस्तावित संविधान संशोधन को पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला और राजधानी को छीनने की साजिश बताया है। यह बिल आर्टिकल 240 के तहत राष्ट्रपति को सीधे नियम बनाने का अधिकार देगा, जिसे पंजाब की सभी प्रमुख पार्टियों ने संघीय व्यवस्था का उल्लंघन और पंजाब के संवैधानिक हक पर कुठाराघात माना है।

केंद्र सरकार ने चंडीगढ़ के प्रशासनिक दर्जे को बदलने के लिए संविधान (131वां संशोधन) बिल, 2025 लाने का प्रस्ताव दिया है। इस कदम से पूरे पंजाब में आम आदमी पार्टी, कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल समेत सभी दलों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।

इस बिल का मुख्य उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के आर्टिकल 240 के दायरे में लाना है।
आर्टिकल 240 राष्ट्रपति को चंडीगढ़ जैसे केंद्र शासित प्रदेशों के लिए सीधे नियम बनाने और कानून लागू करने का अधिकार देता है, जो संसद के कानून के समान शक्ति रखते हैं।

इस संशोधन के बाद, चंडीगढ़ बिना विधानसभा वाले दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों (जैसे लक्षद्वीप, अंडमान-निकोबार) की तरह हो जाएगा। इससे राष्ट्रपति को शहर के लिए नियम बनाने और शायद एक स्वतंत्र प्रशासक नियुक्त करने की शक्ति मिल जाएगी। अभी चंडीगढ़ का प्रशासन पंजाब के गवर्नर संभालते हैं, यह व्यवस्था 1984 से लागू है।

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस कदम को ‘बहुत बड़ा अन्याय’ कहा और आरोप लगाया कि केंद्र की एनडीए सरकार पंजाब की राजधानी पर ‘कब्जा’ करने की साजिश कर रही है।

आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि यह फैसला ‘फेडरल स्ट्रक्चर को तोड़ता है’ और पंजाब के संवैधानिक अधिकारों पर हमला है। उन्होंने दृढ़ता से दोहराया, ‘चंडीगढ़ पंजाब का है और पंजाब का ही रहेगा।’

सुखबीर सिंह बादल ने कानून को ‘पंजाब के अधिकारों पर सीधा हमला’ बताते हुए केंद्र पर धोखा देने का आरोप लगाया। उन्होंने याद दिलाया कि केंद्र 1970 में ही चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने के लिए सहमत हो गया था, लेकिन वादा कभी पूरा नहीं हुआ।

कांग्रेस के अमरिंदर सिंह राजा वारिंग ने इस कदम को ‘पूरी तरह से गैर-जरूरी’ बताया और चेतावनी दी कि चंडीगढ़ को पंजाब से ‘छीनने’ के ‘गंभीर नतीजे’ होंगे। कांग्रेस ने संसद में बिल का कड़ा विरोध करने की कसम खाई है।

ओवरसीज पंजाबी एसोसिएशन ने भी इस प्रस्ताव को चंडीगढ़ पर पंजाब के ऐतिहासिक दावों के प्रति असंवेदनशील बताया है। पंजाब की सभी पार्टियों ने एक स्वर में कहा है कि चंडीगढ़ पंजाब की सही राजधानी है और वे संविधान (131वां संशोधन) बिल का हर मोर्चे पर विरोध करेंगे।

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