
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच 1957 से सीमा विवाद चल रहा है। जब भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया। महाराष्ट्र की मांग है कि कर्नाटक में शामिल बेलगावी को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाया जाए। जबकि कर्नाटक इस मांग को नकारता है। कर्नाटक के साथ चल रहे सीमा विवाद को सुलझाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पहल की है। महाराष्ट्र सरकार ने इस मुद्दे को लेकर सीएम देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में दोबारा उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति सीमा विवाद से जुड़े महत्वपूर्ण फैसले लेगी। महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच 1957 से सीमा विवाद चल रहा है। जब भाषाई आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया। महाराष्ट्र की मांग है कि कर्नाटक में शामिल बेलगावी को महाराष्ट्र का हिस्सा बनाया जाए। क्योंकि वह 1957 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी का हिस्सा था। वहां मराठी भाषी आबादी काफी है। इसने 800 से अधिक मराठी भाषी गांवों पर भी दावा किया है। वहीं कर्नाटक राज्य पुनर्गठन अधिनियम और 1967 की महाजन आयोग रिपोर्ट के अनुसार भाषाई आधार पर किए गए सीमांकन को अंतिम मानता है।सीमा विवाद को लेकर महाराष्ट्र में हर बार नई सरकार आने पर उच्च स्तरीय समिति बनाई जाती है। 22 नवंबर, 2022 को भी तत्कालीन महायुति गठबंधन ने सीएम एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में इस मुद्दे पर समिति बनाई गई थी। अब फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने के बाद समिति का पुनर्गठन किया गया है।18 सदस्यीय समिति में सीएम देवेंद्र फडणवीस अध्यक्ष हैं। समिति में डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार, पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, शरद पवार और पृथ्वीराज चव्हाण शामिल हैं। इसके अलावा समिति में एनसीपी (सपा) विधायक रोहित पाटिल और जयंत पाटिल, मंत्री चंद्रकांत पाटिल, शंभूराज देसाई, प्रकाश अबितकर, सुरेश खाड़े, भाजपा विधायक सुधीर गाडगिल, सचिन कल्याण शेट्टी, विधानसभा और विधान परिषद में विपक्ष के नेता भी शामिल किए गए हैं।सरकारी आदेश में कहा गया है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता वाली समिति का पुनर्गठन किया गया है, क्योंकि सीमा विवाद से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णय गैर-पक्षपातपूर्ण और प्रतिनिधि निकाय द्वारा सर्वसम्मति से लिए जाने की आवश्यकता है। महाराष्ट्र विधानसभा में फिलहाल विपक्ष का कोई नेता नहीं है। शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के विधायकों को उच्चस्तरीय समिति में शामिल नहीं किया गया है।