राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। बिहार में मतदाता सूची संशोधन पर चर्चा की मांग को लेकर विपक्ष के हंगामे के बीच दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। विपक्ष द्वारा बार-बार व्यवधान डाले जाने के कारण, दोनों सदनों की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। 21 जुलाई को संसद का मानसून सत्र शुरू होने के बाद से, ऑपरेशन सिंदूर पर दो दिनों की बहस को छोड़कर, कार्यवाही लगातार तीसरे सप्ताह बाधित रही है। इसके अलावा विपक्षी दलों के सांसदों ने बुधवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मौजूद होने की मांग करते हुए हंगामा किया। वहीं, राज्यसभा में बुधवार को पूर्व सदस्य दिवंगत सत्यपाल मलिक को श्रद्धांजलि दी गई। मलिक का लंबी बीमारी के बाद मंगलवार को नयी दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया। लोकसभा ने बुधवार को वाणिज्यिक जलपोतों के स्वामित्व की पात्रता मानदंडों का विस्तार करने और समुद्री दुर्घटनाओं की जांच व पूछताछ का प्रावधान करने वाले एक विधेयक को संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया। लोकसभा ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दलों के सदस्यों के शोर-शराबे के बीच ही ‘वाणिज्य पोत परिवहन विधेयक, 2024’ को ध्वनिमत से मंजूरी प्रदान कर दी। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बुधवार को कहा कि बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) का मुद्दा उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है और लोकसभा के कार्य संचालन और प्रक्रियाओं के नियमों एवं परिपाटी के तहत इस मुद्दे पर सदन में चर्चा नहीं हो सकती। कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर आग्रह किया कि लोकसभा की कार्यसूची में सूचीबद्ध खेल से संबंधित दो विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के विचार के लिए भेजा जाए। विपक्षी दलों ने कहा कि ये विधेयक राष्ट्रीय महत्व के हैं और इन पर व्यापक सहमति की जरूरत है।
राज्यसभा की कार्यवाही
राज्यसभा ने सदन में विपक्ष के विरोध के बीच समुद्री माल परिवहन विधेयक, 2025 पारित कर दिया। बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) सहित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण बुधवार को राज्यसभा की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बज कर तीस मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। हंगामे की वजह से आज भी उच्च सदन में शून्यकाल और प्रश्नकाल नहीं हो पाया।

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