राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क।
लखनऊ। साहित्यकार मुंशी प्रेमचंद्र की जयंती पर नवयुग कन्या महाविद्यालय राजेंद्र नगर में नवज्योतिका संस्था द्वारा एक दिवसीय व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ताओं ने उनके जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्होंने अपने साहित्य में वंचित समाज और आसपास होने वाली घटनाओं को उकेरा है।
कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय प्रेमचंद्र के चित्र पर पुष्प् अर्पित करने के साथ ही पौधरोपण करके की। आज के व्याख्यान का विषय प्रेमचंद्र आदर्शवाद बनाम यथार्थवाद था। मुख्य वक्ता प्रोफेसर श्रुति ने कहा कि प्रेमचंद ने समाज की नब्ज पकड़ी। इसलिए आज भी प्रेमचंद प्रासंगिक हैं। प्रेमचंद के साहित्य की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि वंचित समाज से लेकर उच्च शिक्षा तक पढ़े और पढ़ाए जाते हैं, इसलिए इन्हें कालजयी कहा जाता है। प्राचार्या प्रो मंजुला उपाध्याय ने कहा आज भी प्रेमचंद प्रासंगिक हैं उन्होंने उस समय के वंचित समाज को और समाज की विकृतियों को अपने साहित्य में उकेरा। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद की आत्मा में रचनाओं में भारत बसता था। उन्होंने जो अपने आस पास देखा वही लिखा। भारत के किसान जैसी उन्होंने वेश-भूषा थी। उनके पुत्र अमृत राय ने उनकी वेशभूषा के बारे में लिखा है जो एक पुत्र द्वारा पिता के लिए अद्भुत वर्णन है। उन्होंने कहा प्रेमचंद से पहले जो साहित्य था वो मनोविनोद का साधन था, लेकिन प्रेमचंद ने चंद्रकांता से लेकर गोदान तक पाठकों को ले जाने का महान कार्य किया । प्रेमचंद ने साहित्य की वह मशाल जलाई जिसके पीछे सभी चले और फिर प्रगतिशील लेखक संघ की स्थापना हुई। इस मौके पर पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता भी हुई। जिसमें अंकिता शर्मा, शताक्षी, रोशनी, आशना और रूचि मिश्रा ने बाजी मारी। इस दौरान अमिता रानी सिंह, अपूर्वा अवस्थी, अंकिता पांडे और मेघना यादव आदि मौजूद रहीं।