
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क हरदोई : विश्व मंगल परिवार सेवा संस्थान एवं सार्वजनिक शिक्षाेण्नयन संस्थान के तत्वावधान में डॉ राम मनोहर लोहिया स्नातकोत्तर महाविद्यालय अल्लीपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस में श्रीधाम वृन्दावन से पधारी हुई देवी महेश्वरी श्रीजी ने प्रथम दिवस की कथा में भागवत माहात्म्य की कथा सुनाते हुए द्वितीय दिवस की कथा में धुंधकारी प्रसंग के पश्चात परीक्षित के जन्म और शुकदेव जी के जन्म की कथा सुनाई विदुर-मैत्री संवाद और राजा परीक्षित और कलियुग के प्रसंग का भी सविस्तार वर्णन किया।
देवी जी ने शुकदेव के जन्म के समय गुरु की महिमा करते हुए बताया कि हमारे जीवन में कई गुरु होते है माता -पिता, शिक्षा गुरु और आध्यात्मिक गुरु , बिना गुरु के ये जीवन दिशाहीन ही रह जाता गुरु ही हमे सतमार्ग दिखाता है और ईश्वर से मिलने का मार्ग प्रशस्त करता है । गुरु बनाए नहीं जाते गुरु स्वयं जीवन में प्रकट होते है गुरु में ही वो सामर्थ्य है कि वह लौह से स्वर्ण बना दे और यही स्वर्ण रूपी शरीर को ईश्वर के समीपस्थ कर दे । द्वितीय दिवस की कथा और भजनों को सुनते हुए समस्त श्रोता गण मंत्र मुग्ध हो गए।