राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

नयी दिल्ली भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान का कहना है कि भविष्य के युद्ध चार प्रमुख प्रवृत्तियों द्वारा आकार लेंगे। इनमें से एक है सभी क्षेत्रों में सेंसर्स का प्रसार। दूसरा- लंबी दूरी तक मार करने वाली हाइपरसोनिक और सटीक हथियार प्रणालियां। तीसरा, स्वायत्त प्रणालियों के साथ मानव-मानव रहित टीमिंग। चौथा है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग और क्वांटम तकनीक द्वारा संचालित युद्धक्षेत्र की बुद्धिमत्ता। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने यह जानकारी रविवार को सिंगापुर में दी। वह यहां आयोजित प्रतिष्ठित ‘शांगरी-ला डायलॉग 2025’ में ‘भविष्य की चुनौतियों के लिए रक्षा नवाचार समाधान’ विषय पर बोल रहे थे। इस कार्यक्रम में जनरल अनिल चौहान ने बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और तेजी से हो रहे तकनीकी परिवर्तनों पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के लोकतंत्रीकरण ने गैर-राज्य तत्वों (नॉन स्टेट एक्टर्स) को सशक्त किया है, जिससे प्रॉक्सी युद्धों और अस्थिरता को बढ़ावा मिला है। उन्होंने क्षमताओं के विकास के लिए अनुकूलनशीलता, नवाचार और आत्मनिर्भरता को मूलमंत्र बताया। भारत ने निजी उद्योगों के साथ सहयोग करते हुए एक संयुक्त रक्षा उत्पादन पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किया है। उन्होंने बताया कि भारत ने ‘रणनीति-प्रेरित आधुनिकीकरण’ को अपनाया है। इससे युद्धक प्रणालियां परिचालन आवश्यकताओं और स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप विकसित की जा सकें।
जनरल चौहान ने कहा कि वर्तमान में चल रहा परिवर्तन सिर्फ हथियारों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें सिद्धांत, संगठनात्मक संस्कृति और मानव संसाधन का भी कायाकल्प शामिल है। उन्होंने कहा कि भारत की अनूठी भौगोलिक स्थिति, अनुभव और आकांक्षाएं इसके रक्षा दृष्टिकोण को आकार देती हैं। अपने संबोधन के अंत में, जनरल अनिल चौहान ने वैश्विक शांति और उत्तरदायी नवाचार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने ‘शांगरी-ला डायलॉग 2025’ को वैश्विक स्थिरता हेतु संवाद और सहयोग को बढ़ावा देने वाला एक महत्वपूर्ण मंच बताया। ‘शांगरी-ला डायलॉग 2025’ के दौरान भारत और फिलीपींस के रक्षा प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय वार्ता भी हुई। भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और फिलीपींस के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल रोमियो एस ब्रावनर जूनियर के बीच यह महत्वपूर्ण बातचीत हुई। इस दौरान सैन्य सहयोग बढ़ाने, समुद्री सुरक्षा और रक्षा प्रौद्योगिकी साझेदारी को मजबूत करने के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। ऑपरेशन सिंदूर की पृष्ठभूमि में क्षेत्रीय सुरक्षा पर भी विचार-विमर्श हुआ। दोनों देशों के सैन्य प्रमुखों ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में रणनीतिक सहयोग और क्षमता संवर्धन के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। यह बातचीत भारत-फिलीपींस रणनीतिक समन्वय को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। सीडीएस चौहान इससे पहले यहां अमेरिका, इंग्लैंड, फ्रांस, जापान समेत कई अपने राष्ट्रों के सैन्य प्रमुखों से मुलाकात कर चुके हैं।

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