राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

चेन्नई तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एवं द्रविड़ मुनेत्र कषगम(द्रमुक) अध्यक्ष एम.के. स्टालिन ने रविवार को मदुरै में पार्टी की महत्त्वपूर्ण महासभा की बैठक की अध्यक्षता की जिससे वर्ष 2026 विधानसभा चुनावों की रणनीति तय करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। इससे पहले उन्होंने शनिवार को 25 किलोमीटर लंबा भव्य रोड शो करके चुनाव प्रचार का आगाज किया। इस रोड शो में जनता का उत्साह और समर्थन देखने लायक था। इसके बाद पार्टी की महासभा बैठक में स्टालिन के संबोधन पर राजनीतिक हलकों में पैनी नजर थी, जहां उनसे चुनावी रोडमैप प्रस्तुत करने की उम्मीद की जा रही थी। द्रमुक की नीति निर्धारण करने वाली सर्वोच्च संस्था महासभा की बैठक मदुरै में 48 वर्षों बाद आयोजित की गयी है।
पिछली बार यह बैठक वर्ष 1977 में हुई थी, जब दिवंगत नेता के. अन्बझगन को महासचिव चुना गया था। वह आजीवन इस पद पर बने रहे।
बैठक स्थल को चेन्नई स्थित द्रमुक मुख्यालय ‘अन्ना अरिवालयम’ की तर्ज पर सजाया गया था। वहां पार्टी संस्थापक सी.एन. अन्नादुरई, पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि, समाज सुधारक पेरियार और स्टालिन के विशाल कटआउट लगाए गए थे। पूरा शहर पार्टी के झंडों और पोस्टरों से सजा हुआ था। माहौल किसी उत्सव से कम नहीं लग रहा था। इस महासभा में 6,500 से अधिक महासभा सदस्य सहित कुल 10,000 से ज्यादा पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य पार्टी कैडरों को आगामी चुनाव के लिए तैयार करना और उन्हें जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रेरित करना है। द्रमुक का लक्ष्य वर्ष 2021 की तरह जोरदार जीत दोहराते हुए लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटना है, जब स्टालिन पहली बार मुख्यमंत्री बने थे। इस बार पार्टी ने 200 से अधिक सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है। मुख्यमंत्री की दो दिवसीय मदुरै यात्रा का मुख्य आकर्षण शनिवार शाम का उनका भव्य रोड शो रहा, जिसे दक्षिणी जिलों में पार्टी की शक्ति प्रदर्शन और कार्यकर्ताओं को उत्साहित करने के रूप में देखा जा रहा है। द्रमुक के नेतृत्व में सेक्युलर प्रोग्रेसिव अलायंस (एसपीए) को एकजुट रखते हुए गठबंधन को मजबूत किया गया है। इस बैठक में चुनावी रणनीति तय करने के साथ-साथ कुछ अहम प्रस्ताव भी पारित किए जाने की संभावना है, जिनमें एनईईटी परीक्षा के खिलाफ, नयी शिक्षा नीति (एनईपी-2020) के विरोध में हिंदी थोपने की कोशिशों और प्रस्तावित परिसीमन पर केंद्र सरकार की आलोचना से जुड़े प्रस्ताव शामिल हैं। यह बैठक इसलिए भी महत्त्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली बार स्टालिन ने अपने बड़े भाई एम.के. अलगिरी से मुलाकात की है, जिनका दक्षिण तमिलनाडु में अब भी खासा प्रभाव है। आगामी चुनावों में अलगिरी का प्रभाव द्रमुक के लिए अहम साबित हो सकता है। अब देखना यह होगा कि क्या स्टालिन उसी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में वर्ष 2026 के चुनावी संग्राम के लिए विजय रेखा खींच पाएंगे।द्रमुक ने वर्ष 2026 में 200 से अधिक सीटें जीतने और सत्ता बरकरार रखने का लक्ष्य रखा है। विपक्षी अन्नाद्रमुक और उसकी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कथित सत्ता विरोधी लहर का फायदा उठाने के दावे से वह बेफिक्र है। मदुरै में अपने पहले रोड शो में स्टालिन के लिए यह अभूतपूर्व समर्थन था। सैकड़ों-हजारों की संख्या में द्रमुक कार्यकर्ता ,महिलाएं तथा बच्चे भी उत्साह से भरे हुए थे। वे पार्टी के झंडे, द्रमुक का प्रतीक चिह्न श्उगता सूरजश् और मुख्यमंत्री की तस्वीरें लेकर पूरे मार्ग में सड़कों की दोनों ओर खड़े थे। पूरे शहर में उत्सवी सजावट और राज्य भर से हजारों कार्यकर्ताओं के आने के कारण, मदुरै न केवल द्रमुक का गढ़ बन गया है, बल्कि एक जीवंत राजनीतिक केंद्र के रूप में उभरा है। यहां से कई राजनीतिक दलों के नेता- भूतपूर्व और वर्तमान ने इस ऐतिहासिक शहर से अपनी राजनीतिक शुरुआत की है। अन्नाद्रमुक के संस्थापक एमजीआर वर्ष 1977 में यहां से चुने गए और मुख्यमंत्री बने।

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