
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क खीरी : धौरहरा में लंबे समय से चल रहे खाद वितरण विवाद और किसानों के विरोध के बाद अब प्रशासन नींद से जागा है। जंगल सहकारी समिति में हुए कथित भ्रष्टाचार, टोकन वसूली और मारपीट के मामले ने जोर पकड़ते ही प्रशासन ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश जारी कर दिए हैं, जिससे किसान समुदाय में उम्मीद की एक किरण जगी है। सूत्रों के अनुसार, नेपाल में खाद के ऊंचे दामों और सीमा पार हो रही तस्करी के कारण लखीमपुर खीरी जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में खाद की भारी किल्लत बनी हुई है। सीमित संसाधनों और आपूर्ति में कटौती ने हालात और बिगाड़ दिए थे। ऊपर से, समिति अध्यक्षों द्वारा “पहले आओ, पहले पाओ” और 100 रुपये में टोकन जैसी मनमानी वसूली ने हालात विस्फोटक बना दिए।
जंगल सहकारी समिति पर लगा घोटाले का आरोप
गुरुवार सुबह करीब 10 बजे जंगल वाली सहकारी समिति में किसानों को खाद न मिलने, टोकन मांगने और अध्यक्ष दुर्गेश नंदन पांडे द्वारा कथित मारपीट के वीडियो सामने आने के बाद बवाल बढ़ गया। पीड़ित किसान अमित (पुत्र कैलाश, निवासी अमेठी, थाना धौरहरा) ने कोतवाली में तहरीर देकर न्याय की मांग की। किसानों का दबाव बना निर्णायक
घटनास्थल से सैकड़ों किसान थाने पहुंचे, जिससे मामला दबाया नहीं जा सका। किसानों के दबाव और सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के कारण अब जिला प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच बैठा दी है। कोतवाल सुरेश मिश्रा ने निष्पक्ष कार्रवाई का भरोसा दिलाया है।
प्रशासनिक सतर्कता और सुधार की दिशा में संकेत
अब तक चुप प्रशासन ने पहली बार सक्रियता दिखाई है। समिति में बिना चुनाव अध्यक्ष बनाए जाने और भाजपा पदाधिकारी होने के आरोपों की भी जांच की जा रही है। ग्रामीणों की यह मांग भी उठी है कि खाद वितरण डिजिटल तरीके से हो, हर समिति पर सीसीटीवी और निगरानी तंत्र लगाया जाए।
अध्यक्ष ने दी सफाई, सचिव ने विवाद को आपसी मामला” बताया
अध्यक्ष दुर्गेश नंदन पांडे ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए उल्टा किसानों पर ही आरोप लगाए कि वे जबरन बोरी छीनने की कोशिश कर रहे थे। सचिव शिवा त्रिवेदी ने इसे “आपसी विवाद” बताकर मामला शांत करने का प्रयास किया जा रहा है