
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कई छात्र इन दिनों सोशल मीडिया से अपने पुराने पोस्ट हटाने में जुटे हैं। वजह है—अमेरिका के सख्त होते वीजा नियम। अमेरिका में पढ़ाई या रिसर्च के लिए आवेदन कर रहे छात्रों को डर सता रहा है कि उनके पुराने राजनीतिक या वैचारिक पोस्ट उनके वीजा को खतरे में डाल सकते हैं।
हाल ही में कुछ छात्रों ने दावा किया कि अमेरिकी वीजा इंटरव्यू के दौरान उनसे उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स के बारे में सवाल पूछे गए। कुछ मामलों में, वीजा अधिकारियों ने खास पोस्ट्स का उल्लेख कर छात्रों से उनका उद्देश्य या संदर्भ भी पूछा।
JNU जैसे विश्वविद्यालय, जो अपने राजनीतिक विमर्श और एक्टिविज़्म के लिए जाना जाता है, वहां के छात्रों के सोशल मीडिया अकाउंट अक्सर ऐसे मुद्दों से भरे होते हैं जो किसी भी देश की विदेश नीति या आंतरिक मसलों पर सवाल उठाते हैं। यही कारण है कि अब छात्र खुद को “डिजिटल क्लीनअप” की प्रक्रिया में लगा रहे हैं।
विदेश जाने की तैयारी के साथ डिजिटल सफाई
एमफिल और पीएचडी कर रहे कई छात्र जो अमेरिका की यूनिवर्सिटीज़ में फेलोशिप या पोस्ट-डॉक्टोरल रिसर्च के लिए आवेदन कर रहे हैं, वे अब अपने ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम अकाउंट से पुराने पोस्ट हटाने में जुटे हैं। इन पोस्ट्स में नागरिकता संशोधन कानून (CAA), किसान आंदोलन, कश्मीर मुद्दा, और अन्य राजनीतिक विषयों पर टिप्पणी शामिल है।
एक छात्रा ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “मुझे मेरे सीनियर्स ने चेतावनी दी कि अमेरिका में अब सोशल मीडिया हिस्ट्री को गंभीरता से देखा जाता है। इसलिए मैं पिछले तीन सालों के पोस्ट रिव्यू कर रही हूं और संदिग्ध कंटेंट डिलीट कर रही हूं।”
आशंकाएं वाजिब या अतिशयोक्ति?
कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि अमेरिकी वीजा नियमों में सोशल मीडिया प्रोफाइल की स्कैनिंग कोई नई बात नहीं है। 2019 में ही अमेरिकी प्रशासन ने सभी वीजा आवेदकों से उनके पिछले पांच साल के सोशल मीडिया हैंडल की जानकारी मांगना शुरू कर दिया था।
हालांकि, इमिग्रेशन एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि अगर कोई पोस्ट राष्ट्रीय सुरक्षा या हिंसा से जुड़ा नहीं है, तो केवल किसी राजनीतिक विचार के कारण वीजा रद्द होना दुर्लभ है। फिर भी, छात्र कोई जोखिम नहीं लेना चाहते।
सवाल उठाता ट्रेंड
यह ट्रेंड कई सवाल खड़ा करता है—क्या अब छात्रों को अपनी वैचारिक स्वतंत्रता को दबाना पड़ेगा केवल एक वीजा के लिए? क्या वैश्विक शिक्षा का दरवाज़ा अब सिर्फ “राजनीतिक रूप से तटस्थ” युवाओं के लिए खुलेगा?
JNU प्रशासन ने इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन कुछ प्रोफेसर्स ने ऑफ रिकॉर्ड कहा कि छात्रों की यह चिंता समझी जा सकती है, हालांकि इससे अकादमिक स्वतंत्रता पर असर पड़ सकता है।