राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क। उत्तर प्रदेश के गोरखनाथ मंदिर का परिसर आज शुक्रवार सुबह एक बार फिर उम्मीदों की चौखट बन गया, जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने जनप्रिय अंदाज़ में जनता दर्शन किया। चेहरे पर सादगी, व्यवहार में सहजता और बातों में भरोसे की ठोस गूंज लिए मुख्यमंत्री ने लगभग 200 लोगों से सीधे संवाद करते हुए कहा, “परेशान मत होइए, सरकार हर जरूरतमंद के साथ खड़ी है।”लगातार दूसरे दिन हो रहे इस जनता दर्शन में मुख्यमंत्री स्वयं कुर्सियों पर बैठे लोगों के पास पहुंचे और उनकी समस्याएं ध्यान से सुनीं। फरियादियों में एक महिला जब इलाज की गुहार लेकर आई, तो मुख्यमंत्री ने न सिर्फ आत्मीयता दिखाई बल्कि उसका हाथ थाम कर भरोसा दिलाया “इलाज का इस्टीमेट मंगवाइए, सरकार भरपूर सहायता देगी।”जनता दर्शन में आए फरियादियों की बातें मुख्यमंत्री ने न केवल सुनीं, बल्कि हर एक प्रार्थना पत्र को गंभीरता से लेते हुए अधिकारियों को मौके पर ही निर्देशित किया कि समस्याओं का समयबद्ध और प्रभावी समाधान सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जनता की पीड़ा के निवारण में कोई शिथिलता नहीं होनी चाहिए।इस दौरान कई लोगों ने विभिन्न प्रकार की समस्याएं रखीं — ज़मीन विवाद, स्वास्थ्य समस्याएं, आर्थिक संकट, आवास योजना से जुड़ी दिक्कतें और पेंशन में देरी जैसे मुद्दों पर मुख्यमंत्री ने हर एक को संवेदनशीलता से जवाब दिया और संबंधित अधिकारियों को फौरन कार्रवाई का निर्देश दिया।खास बात यह रही कि इलाज के लिए आए कई लोगों को मुख्यमंत्री ने पूरी संवेदना के साथ न सिर्फ सुना बल्कि भरोसा भी दिया कि चिकित्सा संबंधी आर्थिक सहायता में सरकार कोई कमी नहीं छोड़ेगी। उन्होंने साफ कहा, “बीमारियों से लड़ाई में सरकार आपके साथ है। इलाज के लिए पैसे की कमी नहीं होने दी जाएगी।”मुख्यमंत्री ने जनता दर्शन के अंत में अधिकारियों से दो टूक कहा कि जन आकांक्षाओं के अनुरूप कार्य करें और ये सुनिश्चित करें कि आमजन की शिकायतें बिना भटके, बिना रुके, एक निर्धारित समय में सुलझें।गोरखनाथ मंदिर परिसर का यह जनता दर्शन केवल एक औपचारिकता नहीं, बल्कि लोगों के दिल में ‘सरकार अपने साथ है’ की भावना भरने वाला सजीव संवाद साबित हुआ। मुख्यमंत्री की यही जनसंवाद शैली उन्हें जनता के बीच एक लोकनायक की तरह स्थापित करती है।सरकार की संवेदनशीलता, मुख्यमंत्री की तत्परता और प्रशासन की सक्रियता — ये तीनों मिलकर गोरखपुर की जनता को यह यकीन दिला गए कि वे अकेले नहीं हैं। जब मुख्यमंत्री स्वयं उनकी बात सुनने और समाधान दिलाने को खड़े हों, तो फिर भरोसे को और क्या चाहिए!

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