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“हिन्दी साहित्य संगोष्ठी हरदोई में जनपद के साहित्यिक अवदान, भाषा-संवर्धन और रचनाकारों के सम्मान पर विस्तृत चर्चा हुई। पद्मश्री विद्या बिन्दु सिंह, प्रो. हरिशंकर मिश्र सहित कई साहित्यकारों ने तीन सत्रों में हिन्दी भाषा और लोकभाषाओं के संरक्षण पर अपने विचार रखे।”

हरदोई। हिन्दी साहित्य संगोष्ठी हरदोई, डॉ. राममनोहर लोहिया महाविद्यालय, हरदोई और हिन्दुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज के संयुक्त तत्वावधान में स्वामी विवेकानन्द सभागार में भव्य रूप से आयोजित की गई। “हरदोई जनपद का हिन्दी साहित्य में योगदान” विषयक इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में तीन सत्रों में हिन्दी भाषा को बढ़ाने, बचाने और साहित्यिक परंपरा को सुदृढ़ बनाने पर गहन विमर्श हुआ।

अतिथि वक्ताओं ने हिन्दी साहित्य के संवर्धन में जनपद का महत्त्व बताते हुए सार्वजनिक शिक्षोन्नयन संस्थान के संस्थापक प्रबंधक डॉ. सुशील चन्द्र त्रिवेदी “मधुपेश” के सतत प्रयासों की सराहना की। वक्ताओं ने कहा कि ऐसे आयोजन नवोदित कलमकारों को हिन्दी साहित्य के प्रति सचेत और प्रेरित करते हैं।

उद्घाटन एवं प्रथम सत्र

मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. विद्या बिन्दु सिंह और लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रो. हरिशंकर मिश्र ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

डॉ. सिंह ने कहा कि वैश्विक प्रभाव के दौर में हमारी भाषा और संस्कृति पर पाश्चात्य के प्रहार तेज हुए हैं, ऐसे समय में लोकभाषाओं और हिन्दी साहित्य का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने इस आयोजन को महाविद्यालय और जनपद के लिए “मील का पत्थर” बताया।

प्रथम सत्र में जनपद के वरिष्ठ साहित्यकारों और अतिथियों को अंगवस्त्र व स्मृतिचिह्न देकर सम्मानित किया गया।श्रवण खण्ड काव्य के लेखक डॉ. शिव बालक शुक्ल के पौत्र श्री उद्धव शुक्ल, उनकी माता व भाई को विशेष सम्मान प्रदान किया गया।

द्वितीय सत्र

कवयित्री श्रीमती सीमा गुप्ता “असीम” की अध्यक्षता में आयोजित इस सत्र में विशिष्ट अतिथि डॉ. शशांक कुमार सिंह ने कहानी, निबंध और उपन्यास सहित सभी विधाओं में सकारात्मक साहित्य सृजन की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य वक्ता कवि मदनमोहन पाण्डेय ने जनपद के लेखकों की रचनाओं के उदाहरण देते हुए नई पीढ़ी को लेखन की दिशा में आगे बढ़ने का आह्वान किया।

तृतीय सत्र

इस सत्र में बनारस के साहित्यकार डॉ. देवी प्रसाद तिवारी ने साहित्य की उपलब्धियों और आधुनिक चुनौतियों पर चर्चा की।मुख्य वक्ता डॉ. ओम प्रकाश मिश्र ने साहित्य को समाज का “प्राणतत्व” बताया।व्यंगकार अरुणेश मिश्र ने अपनी व्यंग्य रचनाओं से सामाजिक चेतना जगाई।अध्यक्षता श्री ब्रजराज सिंह तोमर ने की, जबकि आशीर्वचन वरिष्ठ साहित्यकार श्री राजकुमार सिंह “राज” ने दिए।

उपस्थिति और सहभागिता

संगोष्ठी में संयोजक डाॅ. अवधेश वर्मा, डाॅ. शशिकांत पांडेय, डाॅ. रश्मि द्विवेदी, डाॅ. विवेक बाजपेई, आनन्द विशारद, पारुल गुप्ता, सुमन कुशवाहा, मेघालय गुप्ता, वैष्णवी पटवा, शुभम मिश्र सहित अनेक शिक्षकों और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने सक्रिय सहभागिता की।

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