
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क धौरहरा खीरी : योगी सरकार ने प्रदूषण से मुक्ति के लिए को पौध रोपण की जोर शोर से चल रही मुहिम के विरुद्ध धौरहरा तराई इलाकों में लकड़ी माफिया हरियाली को मिटाने पर तुले हैं। रोकथाम में बरती जा रही शिथिलता से धंधेबाज बिना परमिट के ही प्रतिबंधित नीम जामुन शीशम व आम के हरे-भरे बौर से लदे पेड़ काट रहे हैं। शिकायत के बावजूद वन विभाग से लेकर क्षेत्रीय पुलिस के जिम्मेदार कार्रवाई को लेकर पूरी तरह उदासीन बने हैं।
धौरहरा तहसील क्षेत्र में लकड़ी माफियाओं के लिए मुफीद जगह साबित हो रही है। करीब तीन दर्जन से उपर वन माफिया सफेद पोस नेताओ और धनकुबेरों के दमपर ठेकेदार वनसंपदा का सफाया कर रहे हैं। सरयू , सारदा नदी के बीच दोआबा में बसी धौरहरा तहसील से वन संपदा से भरी हुई तहसील क्षेत्र के गांवों में लकड़ी माफिया प्रतिदिन घूम -घूम कर पेड़ों और बागानों को ताड़कर बाग मालिक को अच्छी रकम का लालच दे वन विभाग और पुलिस तक के ठेकेदार बन चाइनीज मशीनो से घंटों में बागो सफाया कर हरियाली को मिटाने में जुटे हैं। इसके चलते ही कटान प्रतिबंधित आम जामुन,शीशम सागौन व नीम के हरे पेड़ों को बिना परमिट के ही धड़ल्ले से काटा जा रहा है। इलाके में शुरू हुए ईंट भट्ठों के संचालन के बाद बढ़ी लकड़ियों की मांग के कारण अवैध लकड़ी कटान का यह धंधा तेजी से फल-फूल रहा है। लकड़ी माफियाओं स्थानीय पुलिस व वन कर्मियों की मिली भगत से आम व नीम आदि के हरे पेड़ों की कटान कर इसकी लकड़ी को जलौनी के नाम पर ईंट भट्ठों में खपा रहे हैं और कीमती लकड़ी आम,शीशम, जामुन को बड़े पैमाने पर इन भट्टो पर डप करने का अड्डा बना रखे है मौका पाकर गैर जनपदों में लकड़ियां बंद गाडियो भरकर सप्लाई का खेल धड़ल्ले से फल फूल रहा है। बीते दिनों रियाज ठेकेदार द्वारा आम ,जामुन की बगैर परमिट काटी गई लकड़ी का जखीरा किसी समाजसेवी की शिकायत पर वन क्षेत्राधिकारी नृपेन्द्र चतुर्वेद अगवाई भट्टे से लकड़ी सहित ट्रक पर लदान के दौरान पकडी गई थी ।
रेन्जर धौरहरा द्वारा वन अधिनियम के तहत कार्यवाही की गई तबसे आज ट्रक विभाग की हिरासत के चलते ठेकेदार पैसो के दमपर भाजपा नेताओ की मिली भगत से विभाग को खरीदने के जोड -तोड मे लगे है। विभागीय सूत्रों की मानें तो अंधाधुंध कमाई के चक्कर में भ्रष्ट अधिकारियों की जानकारी मे बडे पैमाने पर काटी जाती है प्रतिबंधित लकड़ियां सूत्र बताते हैं बड़े पैमाने पर मुस्लिम समुदाय के लोग इस खेल में लगे हैं। पहले ही क्षेत्र से विशालकाय दरख़्तो जैसे बरगद, पीपल पाकड , जामुन का सफाया कर चील, गिद्ध बगुले जैसे विलुप्त पक्षियों का आशियाना छीन चुके वन माफिया।