
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क हरदोई : रमजान का पाक महीना इबादत, रहमत और बरकतों से भरा होता है। इस्लाम में रोजा इफ्तार कराना एक बड़ा सवाब का काम माना गया है। हदीसों में आया है कि जो व्यक्ति रोजेदार को इफ्तार कराए, उसे भी उतना ही सवाब मिलता है जितना रोजेदार को रोजा रखने से मिलता है। हर साल रमजान में रोजा इफ्तार करने वाली अंजुमन इस्लामिया ने इस साल भी जामा मस्जिद में रोजा इफ्तार का इंतजाम किया इस इफ़्तार मैं सैकड़ो लोगों ने शिरकत की इस मौके पर सैकड़ों रोजेदारों ने इफ्तार किया। दुआ जामा मस्जिद के इमाम मुफ्ती आफताब आलम साहब मज़हरी ने की और बताया कि रोजेदार की दुआ अल्लाह के दरबार में जल्दी कबूल होती है और जब कोई व्यक्ति रोजेदार को इफ्तार कराता है, तो उसके लिए भी रहमतों के दरवाजे खुल जाते हैं। यह अमल इंसान को अल्लाह के और करीब ले जाता है। रमजान में जगह-जगह मस्जिदों, और घरो में निजी रूप से रोजा इफ्तार कराने की परंपरा निभाई जाती है। खजूर, फल, पानी और शरबत के साथ रोजेदारों के लिए इफ्तार की व्यवस्था की जाती है। अल्लाह के नजदीक जाने का यह एक बेहतरीन जरिया है, जिसमें इंसान अपनी नेकी बढ़ा सकता है और अल्लाह की रहमत पा सकता है।सदर अंजुमन इस्लामिया मोहम्मद खालिद एडवोकेट, हाफिज अहमद खान जनरल सेक्रेटरी, फररुख राशिद वाइस प्रेसिडेंट, तनवीर अहमद खान, सरताज अहमद खान, अहमद अली, असद हुसैन इराकी, रसूल अहमद, करम- इलाही, मुफ्ती आफताब आलम साहब मज़हरी इमाम व ख़तीब जामा मस्जिद हरदोई