
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से दक्षिणांचल और पूर्वांचल के 42 जनपदों के निजीकरण के मसौदे पर विद्युत नियामक आयोग से सलाह मांगने के प्रस्ताव पर आज उस समय नया मोड़ आ गया जब उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने विद्युत नियामक आयोग में एक लोक महत्व जनहित प्रस्ताव दाखिल कर दिया। उपभोक्ता परिषद ने यह मुद्दा उठा दिया कि पूरा मसौदा निजीकरण का मसौदा नहीं है बल्कि घोटाले का मसौदा है। यह देश के निजी घरानो के लिए बनाया गया है। जिसमें असंवैधानिक रूप से नियुक्त ग्रांट थॉर्नटन की भूमिका संदिग्ध है। आयोग को तत्काल इसे खारिज कर देना चाहिए। उपभोक्ता परिषद में आयोग से मांग की है कि पूरे मसौदे को सार्वजनिक किया जाए। उपभोक्ता परिषद एक घंटे में साबित कर देगा कि पूरा मसौदा संवैधानिक और उद्योगपतियों के लिए बनाया गया। घोटाले का मसौदा है। इसीलिए उपभोक्ता परिषद देश के प्रधानमंत्री को प्रस्ताव भेज कर पूरे मामले की सीबीआई से जांच करने की मांग उठाई है। इस पूरे मसौदे को तैयार करने वाला ग्रांट थॉर्नटन पहले भी विजय माल्या के किंगफिशर एयरलाइंस की वैल्यूएशन रिपोर्ट को लेकर सीबीआई जांच के घेरे में था। उसके द्वारा बढ़ा चढ़ा कर किंगफिशर एयरलाइंस की वैल्यू बहुत ज्यादा आंकी गया थी। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने अपने प्रस्ताव में कहा आयोग ने स्वत बकाया वसूली वितरण हानियां का अनुमोदन टैरिफ प्रस्ताव में दिया है। आरडीएसएस का अनुमोदन देते समय अनेकों मानक बनाएं इस मसौदे में यह कैसे लिखा जा सकता है कि दक्षिणांचल व पूर्वाचल के विद्युत उपभोक्ताओं पर 65909 करोड़ बकाया में से 30 से 40 प्रतिशत बकाया वसूलना बाध्यकारी होगा। ऐसा न करने पर पेनल्टी लगाई जाएगी। सवाल यह उठता है कि 60 प्रतिशत बकाया क्या निजी घराने ो वसूलकर अपने घर ले जाएंगे ?े मसौदे में 5 वर्षों में वितरण हानियों को 3 प्रतिशत से भी कम नीचे लाने का लक्ष्य रखा, यह तो स्मार्ट मीटर लगते ही 5 प्रतिशत कम हो जाएगी। यानी की देश के निजी घराने वितरण हानियां में भी खेल करके बड़ा मुनाफा कमाने की तैयारी में है। यानि की कोई भी बिजली कंपनी को निजी घराने यदि 1400 करोड रुपए में खरीदेंगे तो एक साल में ही वह उसका पैसा निकाल लेंगे। मसौदे में यह भी कहां गया है कि आरडीएसएस स्कीम मेंखर्च होने वाले दोनों बिजली कंपनियां पर लगभग 20000 करोड़ को लोन में कन्वर्ट कर दिया जाय। पावर कॉरपोरेशन करेगा जिसका खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ेगा बिजली कंपनियों की इक्विटी को ज्यादातर लॉन्ग टर्म लोन में कन्वर्ट कर दिया गया है और 3 साल तक देश के निजी घरानों को उसका भुगतान भी नहीं करना पड़ेगा नाम मात्र इक्विटी लगभग रुपया 6000 से 7 000 को आधार मानकर कम लागत पर बिजली कंपनियों का टेंडर निकालने की रिजर्व प्राइस होगी जिससे बड़े पैमाने पर उद्योगपतियों को फायदा मिलेगा। मसौदे में ऐसा गोलमेज व्यवस्था दी गई है जिसे कहीं ना कहीं सबसे सस्ती पावर परचेज एग्रीमेंट देश के नए घरानो को मिलना तय है। नई बिजली कंपनियों की नेटवर्थ के मामले में भी काफी शिथिलता प्रदान की गई है जिससे नेटवर्थ का पूरा मानक ही बदल जाएगा।