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श्री राम विवाह महोत्सव का पिहानी स्थित माँ इच्छापूर्णी रामजानकी मंदिर में वैदिक रीति से समापन हुआ। अयोध्या धाम के प्रकाश चंद्र जी महाराज ने श्री रामार्चा महायज्ञ का नेतृत्व करते हुए कहा कि यह यज्ञ हजारों अश्वमेध के बराबर फलदायी है। भक्तों को शांति, समृद्धि और मनोवांछित फल प्रदान करने वाला यह अनुष्ठान अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया।

हरदोई। श्री राम विवाह महोत्सव का पिहानी स्थित माँ इच्छापूर्णी रामजानकी मंदिर में चल रहा आयोजन सोमवार को विधिवत मंत्रोच्चारों और वैदिक परंपराओं के साथ धूमधाम से संपन्न हुआ।

अयोध्या धाम से पधारे पूज्य प्रकाश चंद्र जी महाराज ने श्री रामार्चा महायज्ञ का संचालन करते हुए भक्तों को इस अनुष्ठान का आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और शास्त्रीय महत्व समझाया। उन्होंने कहा—
“श्री रामार्चा सकल ब्रह्मांड का पूजन है क्योंकि ब्रह्मांड के प्रत्येक कण में रमा हुआ तत्व ही राम है। योगियों का जो शून्य—जिसमें वे रमते हैं—वही तत्व ‘राम’ कहलाता है।”

उन्होंने बताया कि यह विद्या स्वयं आदियोगी भगवान शंकर द्वारा प्रदत्त है। शास्त्रों में उल्लेख है कि एक रामार्चा यज्ञ का फल हजारों अश्वमेध यज्ञों के बराबर होता है। इस महायज्ञ में सम्मिलित होने से—

  • पापों का नाश,
  • कष्टों का निवारण,
  • शांति,
  • समृद्धि,
  • शक्ति, और ईश्वरीय विशेष कृपा प्राप्त होती है।

उन्होंने कहा कि यह अनुष्ठान विश्वकल्याण, लोकशांति, सामाजिक समरसता, संस्कृति संरक्षण और भारतवर्ष की गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से महायज्ञ स्वरूप में किया जा रहा है।

प्रकाश चंद्र जी महाराज ने विवाह पंचमी पर अयोध्या में श्री राम मंदिर के ध्वज स्थापना के अवसर पर देशवासियों को शुभकामनाएँ भी दीं और धर्म–अध्यात्म के मार्ग पर चलने का संदेश दिया।

इस पावन आयोजन में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे—
महंत वैष्णव हरिशरण महाराज, पुरोहित कविंद्र महाराज, गुरुचरण लाल, बालमुकुंद, रामसेवक रस्तोगी, मनीष रस्तोगी सहित अनेक भक्तगण।

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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल

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