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“अयोध्या में धर्मध्वजा स्थापना के साथ रामराज्य का शुभारंभ हुआ। PM मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने मंदिर शिखर पर धर्मध्वजा फहराया। संतों ने इसे हिंदू राष्ट्र की स्थापना का संदेश बताया। सरयू, अयोध्या और सनातन की ऊर्जा से पूरा क्षेत्र भाव-विभोर दिखा।”

  • अयोध्या में प्रभु श्रीराम लला के मंदिर शिखर पर ध्वजारोहण के साथ रामराज्य का शुभारंभ
  • संतों का दावा—आज से हिंदू राष्ट्र की स्थापना, अयोध्या का गौरव लौटा
  • 500 वर्षों की प्रतीक्षा का सुखद अंत, साधु–संत भावविभोर
  • वर्षों पुराने संकल्प की पूर्णता से प्रधानमंत्री मोदी की आंखें हुईं नम

अभयानंद शुक्ल
समन्वय सम्पादक

लखनऊ/अयोध्या। मंगलवार का दिन सनातन परंपरा के लिए एक सचमुच मंगल दिवस साबित हुआ। पवित्र सरयू मैया की लहरें भी जिस उल्लास और वेग से आज हिलोरें ले रही थीं, वह मानो यह संदेश दे रही थीं कि अयोध्या की वह पुरातन गरिमा—जो सदियों तक इतिहास में दबे पन्नों पर खो गई थी—आज पुनः गौरव के साथ स्थापित हो रही है।

अयोध्या की माटी, वहां की हवाएं, मठ–मंदिर और हर ओर उमड़ा जनसमूह—सब मानो नए रामराज्य की स्थापना को आत्मसात करते दिखाई दिए। साधु–संतों और नगरवासियों की आंखों का नमी और चेहरे की आस्था—दोनों इस बात के गवाह बने कि सदियों की प्रतीक्षा आखिरकार पूर्णता को प्राप्त हुई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब श्रीराम मंदिर शिखर पर धर्मध्वज फहराने पहुंचे, तो वह अपने वर्षों पुराने संकल्प को साकार होते देख स्वयं भी भावविभोर हो उठे। प्रणाम की मुद्रा में उनके जुड़े हाथों का कंपन और आंखों की नमी इस पावन क्षण की भव्यता को और अधिक दिव्य बना रही थी। संत समाज ने इस क्षण को “भारत में हिंदू राष्ट्र की स्थापना” का प्रतीक बताते हुए नारा लगाया—
“बोलो जय सियाराम… अब पूरा हो गया काम!”

भव्यता और दिव्यता के बीच सम्पन्न हुआ धर्मध्वजा आरोहण

सीताराम विवाह पंचमी के दिन आयोजित यह समारोह ऐतिहासिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक तीनों दृष्टियों से अद्वितीय रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने शुभ मुहूर्त में संयुक्त रूप से धर्मध्वजा की स्थापना की।

जैसे-जैसे धर्मध्वज शिखर की ओर बढ़ रहा था, वैसे-वैसे भीड़ में खड़े हजारों लोगों की आंखों से आंसू झर रहे थे। संत–महात्माओं ने इसे “रामराज्य की औपचारिक शुरुआत” बताते हुए कहा कि यह सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और गौरव का पुनर्जन्म है।

1992 का संकल्प और आज की पूर्णता

प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में बताया कि 1992 में अयोध्या छोड़ते समय उन्होंने संकल्प लिया था कि जब राम मंदिर का मार्ग प्रशस्त होगा, तभी वह वापस यहां आएंगे।

और आज—उनके शब्दों में—
“यह 500 वर्षों की प्रतीक्षा की अग्नि की पूर्णाहुति का दिन है।”

पीएम मोदी ने कहा—

  • यह सत्य की विजय है।
  • यह भारतीय सभ्यता के पुनर्जागरण का प्रतीक है।
  • यह धार्मिक ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और राष्ट्रीय पुनर्स्थापना का क्षण है।

उन्होंने कहा कि भारत लोकतंत्र की जननी रहा है, और अब वह अपनी स्वयं की पहचान, संस्कृति और मूल्यों के साथ दुनिया के सामने उठ खड़ा हो रहा है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आने वाले 10 वर्षों में देश मानसिक गुलामी के शेष अंशों से मुक्त हो जाएगा।

संत समाज की प्रतिक्रिया—“राम से बड़ा राम का नाम”

समारोह में उपस्थित संतों ने कहा कि जिस प्रकार अयोध्या में राम मंदिर की पूर्णता हुई है, उसी प्रकार अब वह काशी में भी भगवान शिव को उनका स्थान मिलता देखना चाहते हैं।

पूर्व सांसद और महंत रामविलास दास वेदांती ने कहा— “धर्म ध्वजा की स्थापना के साथ भारत में रामराज्य और हिंदू राष्ट्र की स्थापना हो गई है।”

संतों ने सामूहिक रूप से शंखध्वनि कर घोषणा की—“आज से भारत हिंदू राष्ट्र, रामराज्य की स्थापना!”

धर्मध्वजा की विशेषता

  • लंबाई: 22 फीट
  • चौड़ाई: 11 फीट
  • प्रतीक:
    — भगवान श्रीराम का राज चिह्न कोविदार वृक्ष
    — वंश का प्रतीक सूर्य
    — ब्रह्मांडीय नाद का प्रतीक ॐ
  • वस्त्र: विशेष सामग्री से निर्मित, जो कठोर मौसम की मार भी सह सके और वर्षों तक सुरक्षित रहे।

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