
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज नेटवर्क लखनऊ। पूर्वांचल व दक्षिणांचल के निजीकरण को लेकर असंवैधानिक रूप से नियुक्त ग्रांट थ्रोनटन कंपनी ने देश के बड़े उद्योगपतियों के साथ पूरा तालमेल बैठाकर दोनों बिजली कंपनियों के 42 जनपदों को कम लागत में बेचने की तैयारी में जुटा है। दूसरी तरफ उपभोक्ता परिषद ने कहा पावर कॉरपोरेशन की सरकारी संपत्ति को कम लागत में बेचने की नियत का पर्दाफाश हो गया है। मल्टी ईयर टैरिफ रेगुलेशन 2025 के विपरीत जाकर कलेक्शन एफिशिएंसी के आधार पर एटीण्डसी हानियां दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की 28.48 प्रतिशत और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की 36.08 प्रतिशत प्रस्तावित करने के पीछे एक नॉरेटिव सेट करना है। पावर कॉरपोरेशन वर्तमान में निजीकरण के लिए हानियां अधिक का नॉरेटिव बना रहा है। जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। उपभोक्ता परिषद सभी की पोल खोल कर रख देगा।जिस प्रकार से निजीकरण को लेकर कुल संपत्ति और इक्विटी को कम करने का खेल चल रहा है इसकी तत्काल सीबीआई जांच करना आवश्यक है। उपभोक्ता परिषद लगातार प्रदेश के मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग कर रहा है। आज नहीं तो कल इसकी जांच होना तय है। वर्तमान में असंवैधानिक रूप से नियुक्त कंसलटेंट पावर कैप्सूल को उच्च अधिकारी और देश के बड़े निजी घराने लगातार संपर्क में है। इनकी कॉल डिटेल सबका खुलासा कर देगी। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा 31 मार्च 2024 तक पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के पास कुल लगभग 54164 करोड़ की संपत्ति है। दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के पास लगभग 36761 करोड़ की संपत्ति है। यानि दक्षिणांचल व पूर्वाचल के 42 जनपदों वाली दोनों कंपनियां की कुल संपत्ति लगभग 90925 करोड़ है। इनमें आरडीएसएस मद में दोनों बिजली कंपनियां पर कम से कम 20000 करोड़ का कार्य चल रहा जुडना बाकी है। वर्तमान में दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम की कुल इक्विटी शेयर कैपिटल की तो वह लगभग 25862 करोड़ है। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम की कुल इक्विटी शेयर कैपिटल लगभग 28024 करोड़ है। ऐसे में पावर कॉरपोरेशन जो यह सोच रहा है कि कम इक्विटी दिखाकर बिजली कंपनी को कम लागत में बेचने का मसौदा तैयार किया जाए उसे कामयाब नहीं होने देंगे। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि पावर कॉरपोरेशन कम इक्विटी के आधार पर टेंडर का मसौदा तैयार कर रहा है उसे यह बात सोचना चाहिए कि सरकारी क्षेत्र की संपत्ति का आकलन मनमाने तरीके से नहीं किया जा सकता। क्योंकि यह आने वाले समय में बड़े घोटाले को जन्म देगा। इसलिए पावर कॉरपोरेशन या बात समझ ले कि उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों का निजीकरण कोई बच्चों का खेल नहीं है।