राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ । लखनऊ के इको गार्डन में टीईटी-सीटीईटी पास शिक्षामित्रों का प्रदर्शन आज सातवें दिन भी जारी रहा। उन्होंने हाथ में रोटी लेकर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदेश सरकार से पक्की नौकरी की मांग की। 75 जिलों के शिक्षामित्रों के साथ उनके बच्चे भी प्रदर्शन में शामिल हुए। बच्चों ने हाथ में रोटी लेकर अपने शिक्षामित्र मां-बाप की पक्की नौकरी की गोहार लगाई। दो जून की रोटी दो के नारे लगाए। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यूपी में करीब 50,000 शिक्षामित्र हैं, जो टीईटी-सीटीईटी पास हैं। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीटीई) के मानकों के अनुसार पूरी तरह योग्य हैं। फिर भी लंबे समय से पक्की नौकरी का इंतजार कर रहे हैं। शिक्षामित्रों का कहना है कि उन्होंने 25 साल तक शिक्षा के क्षेत्र में मेहनत की, लेकिन उन्हें स्थायी नौकरी और सम्मानजनक पहचान नहीं मिली है। सीतापुर से प्रदर्शन में आए शिक्षामित्र गुड्डू सिंह ने कहा कि विगत कई सालों से हम लोग दर-दर की ठोकर खा रहे हैं मगर सुनवाई नहीं हो रही है। लखनऊ में 7 दिनों से लगातार धरना दे रहे हैं। आज रोटी की मांग को लेकर हम लोग हाथों में रोटी लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। शिक्षक बनने के जो मानक हैं, उसे पूरा करते हैं, लेकिन हमारी कोई मांग पूरी नहीं हो रही है। 2017 में भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में भी हमें न्याय देने की बात कही थी। गुडडू ने कहा कि हम लोगों को मात्र 10 हजार वेतन मिल रहा है। वह भी 11 महीने का। 10 हजार रुपए में परिवार का पेट पालना बेहद मुश्किल हो गया है। बच्चों की स्कूल की फीस जमा करना मुश्किल हो गया है। बुजुर्ग माता-पिता का इलाज नहीं करवा पा रहे है। जीवन बेहद संघर्षों से गुजर रहा है। आज समर कैम्प में भी हम लोग स्कूलों में सेवाएं दे रहे हैं। योग्यता पूरी करने वालों को शिक्षकों के अनुसार वेतन मिलना चाहिए। धरने में शामिल शिक्षामित्रों की मांग है कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश की तरह यूपी में भी टीईटी-सीटीईटी उत्तीर्ण शिक्षामित्रों को स्थायी किया जाए। बिना टीईटी शिक्षामित्रों को योग्यता पूरी करने का मौका देकर स्थायी नौकरी दी जाए। शिक्षामित्र 12 महीने का उचित मानदेय। चिकित्सकीय अवकाश, 14 आकस्मिक अवकाश (सीएल) और अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं। महिला शिक्षामित्रों ने अंतर जनपदीय तबादला के लिए शासनादेश के अनुसार शेड्यूल जारी करने की मांग की।

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