राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ :उत्तर प्रदेश में महिला अधिवक्ताओं के अधिकारों और प्रतिनिधित्व को लेकर एक अहम कानूनी लड़ाई शुरू हो गई है। यह संघर्ष सिर्फ दो अधिवक्ताओं, श्रेया श्रीवास्तव और मिथिलेश अवस्थी, तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे प्रदेश की उन सभी महिला अधिवक्ताओं की आवाज है जो बार एसोसिएशन के चुनावों में अपने लिए उचित आरक्षण चाहती हैं। इस मुद्दे को लखनऊ बार एसोसिएशन में संयुक्त मंत्री पद की प्रत्याशी श्रेया श्रीवास्तव ने उठाया। उनकी प्रेरणा से और महिला अधिवक्ताओं की परेशानियों को समझते हुए, लखनऊ बार एसोसिएशन में कोषाध्यक्ष पद की प्रत्याशी मिथिलेश अवस्थी ने इस लड़ाई में पूरा सहयोग देने का वादा किया। इन दोनों ने मिलकर महिला अधिवक्ताओं के लिए आरक्षण की इस मांग को कानूनी रूप दिया। माननीय उच्च न्यायालय खंडपीठ लखनऊ के समक्ष श्रेया श्रीवास्तव आदि बनाम बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश आदि शीर्षक से एक याचिका दायर की गई है। इस याचिका में बार एसोसिएशन के चुनावों में महिला अधिवक्ताओं के लिए आरक्षण की मांग की गई है। इस याचिका पर 21 मई, 2025 को प्रारंभिक सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान, बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश की ओर से अधिवक्ता उपस्थित हुए। माननीय उच्च न्यायालय ने लखनऊ बार एसोसिएशन लखनऊ को नोटिस जारी करते हुए चार सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह कदम दर्शाता है कि उच्च न्यायालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। यह लड़ाई किसी एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की हर महिला अधिवक्ता के सम्मान और अधिकार की है। इसी को ध्यान में रखते हुए, सभी महिला अधिवक्ताओं से अपील की गई है कि वे जुलाई 2025 में माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर इस महत्वपूर्ण संघर्ष में अपना सहयोग दें।उनकी उपस्थिति माननीय उच्च न्यायालय को यह दिखाएगी कि महिला अधिवक्ता अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं और इस लड़ाई में सक्रिय रूप से शामिल हैं। यह सामूहिक प्रयास ही महिला अधिवक्ताओं को बार एसोसिएशन में उनके उचित प्रतिनिधित्व और अधिकारों को दिलाने में मदद करेगा।

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