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“सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने संसद में कहा—’वंदे मातरम्’ सिर्फ गाने के लिए नहीं, निभाने के लिए है। जिन्होंने आजादी में भाग नहीं लिया, वे क्या गाएंगे।”

‘आजादी में भाग न लेने वाले ‘वंदे मातरम्’ क्या गाएंगे?’—अखिलेश यादव

नई दिल्ली।  संसद के शीतकालीन सत्र में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने आजादी और ‘वंदे मातरम्’ को लेकर अपना बयान दिया। उन्होंने कहा कि 150 साल के बाद देश इस गीत को याद कर रहा है, लेकिन इसके महत्व को केवल गाने तक सीमित नहीं समझना चाहिए।

अखिलेश यादव ने कहा—
“अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन ‘वंदे मातरम्’ के साथ ही चला। इससे अंग्रेज घबरा गए। यह सिर्फ गाने के लिए नहीं है, निभाने के लिए है। यह कोई दिखावा नहीं है। जिन्होंने आजादी में भाग नहीं लिया, वो ‘वंदे मातरम्’ क्या गाएंगे।”

उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोग अंग्रेजों के लिए मुखबिरी और देशद्रोही कार्य करते थे, और ऐसे लोग राष्ट्रवादी नहीं बल्कि राष्ट्र विवादी कहे जा सकते हैं।

अखिलेश यादव का यह बयान संसद में विशेष चर्चा का विषय बन गया और राजनीतिक गलियारों में भी इसे लेकर बहस शुरू हो गई। उनके अनुसार, राष्ट्रगीत केवल स्वर में नहीं, कर्म और योगदान में भी निभाया जाना चाहिए।

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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ल

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