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ODOP–ODOC के जरिए संडीला लड्डू को वैश्विक पहचान दिलाने की तैयारी। भाजपा नेत्री सुहाना जैन का अभियान स्थानीय कारीगरों व महिलाओं के लिए नए अवसर खोल रहा है।

लखनऊ/हरदोई। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पारंपरिक उत्पादों और व्यंजनों को विश्वस्तरीय पहचान दिलाने के लिए ODOP–2 और ODoC (एक जनपद–एक व्यंजन) मॉडल को मिशन मोड में आगे बढ़ा रही है। इसी क्रम में शुक्रवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी जिलों के परंपरागत व्यंजनों का विस्तृत सर्वे, गुणवत्ता परीक्षण, पैकेजिंग सुधार, ब्रांडिंग एवं मार्केटिंग को सुदृढ़ करने के निर्देश दिए।

सीएम योगी ने कहा—

“ODOP ने प्रदेश के पारंपरिक उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई है। अब ODOP–2 और ODoC मिलकर उत्तर प्रदेश की खाद्य विरासत को ‘लोकल से ग्लोबल’ की नई दिशा देंगे।”

संडीला लड्डू—अब प्रदेश की खाद्य पहचान बनने की राह पर

सीएम के नए निर्देशों के बाद संडीला का प्रसिद्ध संडीला लड्डू ODoC सूची में सबसे मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभर आया है। स्वाद, परंपरा और ऐतिहासिक विरासत के कारण यह लड्डू सदियों से उत्तर प्रदेश की एक विशेष पहचान रहा है।

ब्रिटिश काल से प्रधानमंत्री आवास तक—संडीला लड्डू का गौरवशाली इतिहास

  • ब्रिटिश शासन के दौरान अंग्रेज अफसर संडीला के लड्डू विदेशों में भेजते थे।
  • पंडित जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री ने संडीला प्रवास में इन लड्डुओं की विशेष प्रशंसा की थी।
  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लगभग दो माह संडीला में रहे—वे प्रतिदिन संडीला लड्डू खाते थे, जिससे इनकी लोकप्रियता और बढ़ी।
  • पुराने दस्तावेज बताते हैं कि यह लड्डू कभी काशी, अवध और कानपुर के राजकीय भोजों में भी परोसा जाता था।

इतिहासकारों के अनुसार—“संडीला लड्डू सदियों से उत्तर प्रदेश की मिठाई संस्कृति का एक प्रमुख स्तंभ रहा है।”

‘वीरांगना’ संस्थान की अध्यक्ष सुहाना जैन—मिशन संडीला लड्डू की प्रणेता

हरदोई की समाजसेविका, भाजपा नेत्री एवं वीरांगना सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान की अध्यक्ष शरणजीत सुहाना जैन ने संडीला के लड्डू को पुनः राष्ट्रीय–अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने का अभियान छेड़ दिया है।

सुहाना जैन बताती हैं—

“संडीला का लड्डू हमारी संस्कृति, हमारी परंपरा और हमारी पहचान है। ODOP–ODOC के माध्यम से इसे वैश्विक बाजार तक पहुंचाना हमारा लक्ष्य है।”

संडीला लड्डू पुनर्जागरण अभियान—स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा

भाजपा नेत्री और वीरांगना सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्थान की अध्यक्ष सुहाना जैन के नेतृत्व में संडीला लड्डू को राष्ट्रीय पहचान दिलाने का अभियान अब एक संगठित आंदोलन का रूप ले चुका है। उनका प्रयास केवल एक मिठाई को प्रसिद्ध करने का नहीं, बल्कि संडीला की स्थानीय अर्थव्यवस्था, परंपरा और कारीगरों को नई दिशा देने का है।

इस अभियान में कई बड़े उद्देश्य शामिल हैं, जिन पर तेज़ी से काम आगे बढ़ रहा है—

• स्थानीय कारीगरों को कौशल प्रशिक्षण देकर वैज्ञानिक और मानकीकृत विधि से लड्डू निर्माण की व्यवस्था विकसित की जा रही है, ताकि गुणवत्ता एक समान बनी रहे।

• आधुनिक पैकेजिंग, लेबलिंग और ब्रांडिंग के माध्यम से संडीला लड्डू को बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे यह बड़े रिटेल नेटवर्क तक पहुंच सके।

• ऑनलाइन बिक्री और ई–कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मार्केट तैयार करने की दिशा में भी काम हो रहा है, ताकि संडीला का लड्डू देशभर में ग्राहकों तक सीधे पहुंच सके।

• GI टैग के लिए आवश्यक दस्तावेजीकरण पर विशेषज्ञों की टीम काम कर रही है, जिससे संडीला लड्डू को आधिकारिक पहचान मिल सके और इसका संरक्षण सुनिश्चित हो।

• महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों को जोड़कर स्वरोजगार बढ़ाने की पहल भी अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिससे ग्रामीण महिलाएँ आर्थिक रूप से सशक्त हों।

• लड्डू निर्माण का क्लस्टर मॉडल विकसित करने के लिए स्थान चिन्हित किए जा रहे हैं, ताकि उत्पादन, पैकिंग और वितरण का केंद्रित तंत्र विकसित हो सके।

• साथ ही संडीला को ‘लड्डू हब’ के रूप में विकसित करने का व्यापक रोडमैप तैयार किया जा रहा है, जो भविष्य में बड़े उद्योग और पर्यटन अवसरों को जन्म दे सकता है।

सुहाना जैन का यह प्रयास न केवल परंपरा को आधुनिक पहचान देने की दिशा में है, बल्कि संडीला की पहचान को नए युग के बाजार से जोड़ने की एक सुनियोजित रणनीति भी है।

सुहाना जैन का कहना है—

“यदि संडीला लड्डू ODoC में शामिल हुआ तो हजारों परिवारों को स्थायी रोजगार मिलेगा और संडीला की प्रतिष्ठा फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित होगी।”

आज भी संडीला लड्डू की बाजार में जबरदस्त मांग

स्थानीय मिठाई दुकानों के संचालक बताते हैं कि संडीला लड्डू की मांग हर त्योहार, विवाह और पारिवारिक समारोहों में सबसे अधिक रहती है।

स्वाद, सुगंध और देसी विधि के कारण इसे आधुनिक मिठाइयों की प्रतिस्पर्धा में भी आज तक कोई पीछे नहीं कर पाया है।

निर्यात क्षमता—संडीला लड्डू अंतरराष्ट्रीय बाजार का ‘हॉट प्रोडक्ट’ बन सकता है

खाद्य विशेषज्ञों का मानना है कि—सही पैकेजिंग, गुणवत्ता प्रमाणन और सरकारी सहायता मिलने पर संडीला का लड्डू खाड़ी देशों, अमेरिका, यूरोप और दक्षिण–पूर्व एशिया में बसे भारतीय समुदाय के बीच बड़ी मात्रा में निर्यात किया जा सकता है।

सरकार + समाज = परंपरा को आधुनिक पहचान

विशेषज्ञ चार कारण बताते हैं जो संडीला लड्डू को ODoC सूची का सबसे मजबूत उम्मीदवार बनाते हैं—

1. सदी पुराना इतिहास और सांस्कृतिक विरासत

2. आज भी क्षेत्रीय लोकप्रियता और मजबूत बाजार

3. अंतरराष्ट्रीय निर्यात की क्षमता

4. स्थानीय नेतृत्व—सुहाना जैन जैसे सामाजिक कार्यकर्ताओं की सक्रिय पहल

इन सभी तत्वों के संयुक्त प्रभाव से यह उम्मीद बढ़ गई है कि संडीला का लड्डू जल्द ही उत्तर प्रदेश की आधिकारिक खाद्य पहचान बनकर उभरेगा—और लंबे समय बाद यह मिठाई “संडीला से दुनिया तक” की यात्रा तय करेगी।

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