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“राममंदिर ध्वज फहरेगा—PM मोदी 25 नवंबर को बटन दबाकर 10 सेकंड में 161 फुट ऊंचे शिखर पर 22×11 फुट का केसरिया ध्वज फहराएंगे। 3 किमी दूर से दिखने वाला यह ध्वज विशेष मौसम-रोधी फैब्रिक से तैयार किया गया है। अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना।”

अयोध्या। रामनगरी अयोध्या एक बार फिर इतिहास रचने के लिए तैयार है। राममंदिर ध्वज फहरेगा कार्यक्रम के तहत श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के भव्य शिखर पर पहली बार विशाल केसरिया ध्वज फहराने की सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई हैं। 25 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक विशेष इलेक्ट्रॉनिक बटन दबाकर इस आध्यात्मिक और ऐतिहासिक ध्वजारोहण की औपचारिक शुरुआत करेंगे।

जैसे ही PM मोदी बटन दबाएंगे, महज 10 सेकंड के भीतर राममंदिर के मुख्य शिखर पर तिरछे लहराता 22×11 फुट का केसरिया ध्वज दिखाई देने लगेगा। यह पूरा सिस्टम आधुनिक तकनीक और पारंपरिक आस्था का अनूठा संगम है, जिसमें सुरक्षा और मौसम संबंधी सभी मानकों का विशेष ध्यान रखा गया है। RSS प्रमुख मोहन भागवत भी इस ऐतिहासिक घड़ी के साक्षी बनेंगे।

161 फुट ऊंचे शिखर पर 42 फुट का खास स्तंभ

राममंदिर का मुख्य शिखर लगभग 161 फुट ऊंचा है। इसके शीर्ष पर करीब 42 फुट ऊंचा विशेष ध्वज स्तंभ (पोल) स्थापित किया गया है, जिस पर यह केसरिया ध्वज फहराया जाएगा। ध्वज का आकार 22 फुट लंबा और 11 फुट चौड़ा रखा गया है, ताकि यह ऊंचाई से भी स्पष्ट रूप से दिखाई दे सके।

ध्वज के लिए सामान्य कपड़े की जगह ऐसे हाई-टिकाऊ (टिकाऊ और मजबूत) फैब्रिक का इस्तेमाल किया गया है, जो—

तेज हवाओं, तेज धूप, भारी बारिश और बदलते मौसम को लंबे समय तक झेल सके। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ध्वज को इस तरह तैयार किया गया है कि उसका वजन और मजबूती दोनों संतुलित रहें, ताकि 161 फुट ऊंचाई पर भी वह सुरक्षित, स्थिर और आकर्षक ढंग से फहरता रहे। ध्वज को खास सिल्क और पैराशूट ग्रेड धागों के संयोजन से तैयार किए जाने की जानकारी सामने आई है, जिससे यह हल्का भी रहे और मजबूत भी।

3 किलोमीटर दूर से दिखेगा भव्य ध्वज

ध्वज के आकार, ऊंचाई और केसरिया रंग के कारण इसे अयोध्या शहर के लगभग 3 किलोमीटर के दायरे से भी साफ देखा जा सकेगा। मंदिर के शिखर की अधिकतम ऊंचाई 161 फुट और उसके ऊपर लगे 42 फुट ऊंचे स्तंभ के संयोजन से यह ध्वज आसपास के पूरे इलाके का विजुअल फोकस प्वाइंट बन जाएगा।

स्थानीय प्रशासन का मानना है कि ध्वज फहरने के बाद राममंदिर न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से, बल्कि विजुअल आइकन के तौर पर भी नई पहचान हासिल करेगा। यह दृश्य उन करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए विशेष होगा जो वर्षों से राममंदिर निर्माण यात्रा के हर पड़ाव को भावनाओं से जोड़कर देखते आए हैं।

PM मोदी बटन दबाकर करेंगे ध्वजारोहण की शुरुआत

ध्वजारोहण की प्रक्रिया के लिए विशेष इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगाया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंदिर परिसर में स्थापित कंट्रोल पैनल पर लगे बटन को दबाकर ध्वज फहराने का शुभारंभ करेंगे। सूत्रों के मुताबिक, तकनीकी टीम ने फ्लैग सिस्टम को इस तरह डिजाइन किया है कि बटन दबाने के 8–10 सेकंड के भीतर ध्वज शिखर पर पहुंचकर पूरी तरह लहराने लगे।

रक्षा मंत्रालय के विशेषज्ञों ने पूरे सिस्टम की सेफ्टी, विंड प्रेशर, लोड और फैब्रिक क्वालिटी की बारीकी से जांच की है। पहले तैयार किए गए ध्वज में वजन और फैब्रिक से जुड़ी कुछ तकनीकी आपत्तियां आई थीं, जिसके बाद नया ध्वज तैयार कराया जा रहा है, ताकि 161 फुट ऊंचाई और तेज हवा में भी कोई तकनीकी जोखिम न रहे।

ध्वज पर होंगे आध्यात्मिक प्रतीक

जानकारी के अनुसार, ध्वज पर सूर्य, और कोविदार वृक्ष जैसे प्रतीकों का अंकन किया गया है, जो वाल्मीकि रामायण में वर्णित हैं और श्रीराम के सूर्यवंशीय स्वरूप, ऊर्जा, धर्म और रामराज्य के आदर्श का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य का चिन्ह तेज, तपस्या और आलोक का;का चिन्ह सनातन वैदिक परंपरा का; और कोविदार वृक्ष का चिन्ह समृद्ध, न्यायपूर्ण और संतुलित रामराज्य का प्रतीक माना जा रहा है।

अयोध्या में उमड़ेगा श्रद्धालुओं का सागर

ध्वजारोहण के इस ऐतिहासिक दिन अयोध्या में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है। मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन ने सुरक्षा, ट्रैफिक और भीड़ प्रबंधन के लिए विशेष प्लान तैयार किया है। शहर के प्रमुख मार्गों, घाटों और मंदिर परिसरों को रोशनी, रंग-बिरंगी सजावट और केसरिया झंडों से सजा दिया जाएगा।

रिपोर्ट्स के मुताबिक—

  • VIP और आम श्रद्धालुओं की एंट्री के लिए अलग मार्ग और व्यवस्था,
  • शहरभर में बड़े LED स्क्रीन पर कार्यक्रम का सीधा प्रसारण,
  • पार्किंग, मेडिकल और इमरजेंसी सेवाओं के लिए विशेष कंट्रोल रूम,
  • श्रद्धालुओं के लिए पेयजल, प्रसाद और विश्राम की अलग व्यवस्था

की योजना बनाई गई है। कई सांस्कृतिक कार्यक्रम, रामलीला, भजन संध्या और लोकनृत्य भी निर्धारित तिथियों के बीच आयोजित किए जाएंगे।

राममंदिर निर्माण यात्रा का स्वर्णिम अध्याय

ध्वजारोहण को राममंदिर निर्माण यात्रा का एक और स्वर्णिम अध्याय माना जा रहा है। 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब 25 नवंबर को शिखर पर ध्वज फहरने के साथ मंदिर की गौरवपूर्ण पहचान और मजबूत हो जाएगी।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारियों के अनुसार, यह ध्वजारोहण केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि उन करोड़ों लोगों की भावनाओं, संघर्षों और वर्षों की आस्था का सम्मान भी है, जिन्होंने राममंदिर निर्माण के लिए योगदान दिया।

मंदिर की वास्तुशिल्पीय ऊंचाई (161 फुट), पारंपरिक नागर शैली, विशाल प्रांगण और अब शिखर पर फहराता केसरिया ध्वज—इन सबके मेल से अयोध्या आने वाली पीढ़ियों के लिए भी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धुरी के रूप में स्थापित हो रही है।

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विशेष संवाददाता – मनोज शुक्ला

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