
राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब तक की सबसे ऐतिहासिक बिजली दरों में बढोतरी जिसमें सबसे ज्यादा बढोतरी घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं के मथे डाली गई है उसके पीछे भी बहुत बडी साजिश है। सभी को पता है कि उत्तर प्रदेश में पांच वितरण कंपनियां है। उसमें सबसे ज्यादा घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या दक्षिणांचल व पूर्वाचल में है, ऐसे में बडे निजी घराने लगातार प्री बिड कॉन्फ्रेंस और निजीकरण की बैठकों में इस बात पर जोर दे रहे थे कि घरेलू उपभोक्ताओं की बिजली दरों में ज्यादा बढोतरी की जाए। जिससे जब उनके द्वारा पूर्वांचल व दक्षिणांचल को खरीदा जाए तो उनका ज्यादा फायदा होगा। इसका आंकलन उपभोक्ता परिषद किया गया है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा पूरे प्रदेश में वर्तमान टैरिफ के हिसाब से कुल 85497 करोड का रेवेन्यू प्राप्त होता है। प्रस्तावित बढोतरी के बाद वह रुपया 109520 हो जाएगा यानी कि लगभग 29 प्रतिश त की राजस्व में वृद्धि होगी। लेकिन अगर पूरे प्रदेश के घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की राजस्व में वृद्धि देखा जाए तो पूरे प्रदेश में कुल घरेलू उपभोक्ताओं से जो राजस्व वर्तमान में 37407 करोड प्राप्त हो रहा है। बिजली दरों में वृद्धि के बाद बढकर 52873 करोड हो जाएगा। यानि कि कल घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की 41 प्रतिशत वृद्धि राजस्व में हो जाएगी। घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं की बिजली दरों में ज्यादा बढोतरी करके निजीकरण के बाद आने वाले उद्योगपतियों को बडा लाभ देने की साजिश की गई थी जिसे उपभोक्ता परिषद कामयाब नहीं होने देगा।