राष्ट्रीय प्रस्तावना न्यूज़ नेटवर्क

जयपुर:अमेरिकी राष्ट्रपति की बातें खतरनाक,समझौते के अनुसार कश्मीर पर तीसरा पक्ष पंचायती नहीं कर सकता
जयपुर पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने पाकिस्तान के साथ सीजफायर से पहले अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर केंद्र सरकार और पीएम नरेंद्र मोदी पर सवाल उठाए हैं। अशोक गहलोत दिल्ली में एआईसीसी ऑफिस में मीडिया से बात कर रहे थे। गहलोत ने कहा अचानक सीजफायर करके सरकार मोरल ऑथोरिटी खो चुकी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कैसे सीजफायर की घोषणा की, सरकार की सलाह से या खुद की, इस पर जवाब देना चाहिए। ट्रंप ने कौनसी ठेकेदारी ले रखी है? वह खुद ही ठेकेदार बन गए या हमारी सरकार की चुप्पी उनके हौसले बढ़ाती है। ट्रंप किस आधार पर कह रहे हैं कि रात भर हमारे लोगों ने मेहनत की है। इस मेहनत में कौन-कौन भागीदार थे, यह बात देश के सामने स्पष्ट होनी चाहिए। ट्रंप कहते हैं, कश्मीर मसले का निर्णय मैं कर सकता हूं। जबकि 1971 के युद्ध के बाद इंदिरा गांधी और जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच लिखित शिमला समझौता हुआ था कि कोई तीसरा मुल्क पंचायती नहीं करेगा। कश्मीर को लेकर केवल भारत और पाकिस्तान के बीच ही बातचीत होगी। पूर्व सीएम ने कहा कश्मीर को लेकर ट्रंप जिस तरह की बात करने लगे, वह बहुत खतरनाक है। मिस्टर ट्रंप कह रहे हैं कि कश्मीर का मुद्दा हल करवा दूंगा, पता नहीं वह किसके पक्ष में फैसला कर देंगे? यह जो बार-बार मैं देख रहा हूं। ट्रंप ने हिंदुस्तान-पाकिस्तान को बराबर खड़ा करके रख दिया। उनके ट्वीट आते हैं। कहां हिंदुस्तान, कहां पाकिस्तान? प्रधानमंत्री देश को संबोधित करने वाले थे, उससे पहले ट्रंप ने ट्वीट कर दिया कि दोनों देशों को हमने कहा व्यापार करना है तो युद्ध बंद करना पड़ेगा। यह तमाम बातें हो रही है। इसका जवाब प्रधानमंत्री ने नहीं दिया, यह मेरी उनसे शिकायत है। पूर्व सीएम ने कहा भारतीय सेना ने जो जोरदार काम किया, पूरी दुनिया में इसकी तारीफ हुई। पहलगाम की घटना में 26 निर्दोष लोगों को जिस बेरहमी से मारा गया, उससे सबको दुख था।
हमारी सेनाओं ने ऐसे वक्त में आतंकी ठिकानों के खिलाफ कार्रवाई की। 100 आतंकी मारे गए। सब कुछ ठीक चल रहा था। आजादी के बाद से हमारा इतिहास रहा है, हमारी फौजों ने कमाल किया है। भारत पर पहले भी अमेरिका का दवाब रहा है, अमेरिकी दबाव हमेशा से ही रहता आया है, लेकिन पहले कभी परवाह नहीं की। 1961 में गोवा को हमने पुर्तगालियों से छुड़ाया, वो भी युद्ध था। सिक्किम को अमेरिकी दबाव के बावजूद भारत में मिलाया। 1971 के युद्ध में तो अमेरिका ने सातवां बेड़ा रवाना कर दिया था, लेकिन इंदिरा गांधी ने परवाह नहीं की और पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे। 1971 के युद्ध के दौरान शरणार्थी कैंपों में सेवा करने मैं खुद गया था। अरुणाचल प्रदेश को चीन के विरोध के बाद भी हमारा प्रदेश घोषित किया। गहलोत ने कहा यह देश जानना चाहता है कि मोदी और सरकार पर कौन सा दबाव है? ट्रंप ने सीज फायर का ट्वीट कैसे किया? पीएम मोदी को कल जवाब देना चाहिए था। ट्रंप ने जब कश्मीर को लेकर ट्वीट किया तो पीएम को जवाब देना चाहिए था कि तीसरा पक्ष इसमें पंचायती नहीं करेगा। हमारी 1971 की पॉलिसी बनी हुई है, यह कहना चाहिए था। विदेश मंत्रालय ने स्पष्टीकरण नहीं दिया, यह हमारे सामने सवाल खड़ा है। गहलोत ने कहा कल पीएम बोले थे, तब उम्मीद थी कि वे इन सब मुद्दों को साफ करेंगे, स्पष्टीकरण देंगे, लेकिन डैमेज कंट्रोल करने में चूक गए। सरकार को डैमेज बहुत भारी हुआ है। इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े कर दिए थे और इन्होंने सीजफायर करवा दिया। यहां तो तीन दिन का मामला था। सेना अच्छा काम कर रही थी, घुस रही थी। अचानक ही सीजफायर कर दिया। गहलोत ने कहा पीएम कह रहे हैं कि ऑपरेशन सिंदूर अस्थाई रूप से स्थगित हुआ है। मैंने तो कभी सुना नहीं की अस्थाई रूप से सीजफायर होते हैं। सीजफायर सोच समझकर होता है। इसका मतलब है कि यह सीजफायर बिना सोच समझकर हुआ है।
गहलोत ने कहा पहलगाम में हमारे साथ अन्याय हुआ, हमारे 26 निर्दोष नागरिक मारे गए। हमारी फौज ने आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की। पाकिस्तान के साथ अजरबैजान और तुर्की खड़े हो गए। अमेरिका अलग-अलग बातें करता रहा। हमारे साथ हमारा कोई पड़ोसी देश खड़ा नहीं हुआ। दुनिया का कोई मुल्क हमारे साथ खड़ा नहीं हुआ। क्यों, इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए। मोदी देश दुनिया में जाकर नेताओं को गले लगा रहे थे, तब राहुल गांधी कहा करते थे कि हमारे साथ धोखा हो रहा है, कई आगे आने वाले दिनों में ऐसा करेंगे।

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