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ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ज्ञानू पुण्यतिथि पर लखनऊ विश्वविद्यालय में वरिष्ठ नेता, मंत्री, विधायक व छात्रनेता एकत्र हुए। छात्रहितों के संघर्ष में अपना जीवन समर्पित करने वाले ज्ञानू को श्रद्धांजलि दी गई और छात्रसंघ चुनाव बहाली की मांग तेज हुई।

लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय में रविवार को एक ऐतिहासिक दृश्य देखने को मिला, जब ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ज्ञानू पुण्यतिथि के अवसर पर सैकड़ों छात्र व पूर्व छात्र दशक बाद फिर एक ही मंच पर दिखाई दिए। छात्र हितों की लड़ाई में अपना जीवन समर्पित करने वाले स्वर्गीय ज्ञानू को याद करते हुए पूरा छात्रसंघ भवन भावनाओं से भर उठा। प्रतिमा पर माल्यार्पण के लिए सामाजिक-राजनीतिक जगत से लेकर छात्र आंदोलन के दिग्गज चेहरे एकजुट हुए।

कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व महामंत्री अनिल सिंह बीरू ने की तथा संचालन कांग्रेस प्रवक्ता व वरिष्ठ छात्रनेता अंशू अवस्थी ने किया।

उपस्थित रहे बड़े नाम

सभा में शामिल रहे —
चचा अमीर हैदर, पूर्व विधायक श्याम किशोर शुक्ला, राज्य सूचना आयुक्त मो. नदीम, पूर्व MLC राकेश सिंह, पूर्व MLC हरगोविंद सिंह, LUTA व छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष प्रो. नीरज जैन, पूर्व अध्यक्ष प्रमोद तिवारी, इसके अलावा कई वरिष्ठ छात्रनेता व अधिवक्ता।

चचा अमीर हैदर बोले — “ज्ञानू आज भी हमारे बीच ज़िंदा हैं”

90 वर्ष की आयु में भी उर्जा और जज़्बे से भरे चचा अमीर हैदर ने कहा —

“छात्र राजनीति मेरे भीतर अभी भी है। ज्ञानू हमारे अपने थे, संघर्ष के प्रतीक थे। 34 साल बाद भी इतने लोग इकट्ठे हैं — यही उनकी असली जीत है।”

मो. नदीम — “ज्ञानू ने कभी समझौता नहीं किया”

राज्य सूचना आयुक्त मो. नदीम ने कहा —

“ज्ञानू ने छात्रहितों के लिए संघर्ष को अपना धर्म बनाया था। उनका बलिदान असफल नहीं, छात्रों की जीत में बदलना चाहिए।”

हरगोविंद सिंह — “छात्रसंघ चुनाव बंद होने से लोकतंत्र कमजोर”

पूर्व MLC हरगोविंद सिंह ने कहा —

“जब छात्रों का प्रतिनिधित्व खत्म होगा, तो लोकतंत्र में विचारधारा नहीं, डील संस्कृति हावी हो जाएगी।”

अंशू अवस्थी — “जब संसद और पंचायत के चुनाव जरूरी हैं तो कैंपस के क्यों नहीं?”

अंशू अवस्थी ने कहा —

“लखनऊ विश्वविद्यालय ने ऐसे नेता दिए जिन्हें देश राष्ट्रपति पद तक पहुंचा। इसलिए छात्रसंघ चुनाव बहाली लोकतंत्र की ज़रूरत है, राजनीति का शोर नहीं — अधिकार का सवाल है।”

अनिल सिंह बीरू — “हम ज्ञानू की लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे”

कार्यक्रम आयोजक अनिल सिंह बीरू भावुक हुए —

“ज्ञानू छात्रहित के लिए जीए, उसी के लिए शहीद हुए। हम पीछे नहीं हटेंगे। छात्रहित सर्वोपरि है, और रहेगा।”

पूर्व अध्यक्ष अतुल अंजान, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी एवं पूर्व जू. ला. सुभाष मौर्या के निधन पर सभा में 2 मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

सभा के बाद छात्रावास परिसर में उपस्थित छात्रों ने एक ही स्वर में कहा —

‘ज्ञानू के सपनों का विश्वविद्यालय — छात्रों के अधिकारों वाला विश्वविद्यालय!’

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