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“सचिन तेंदुलकर ने 15 नवंबर 1989 को कराची के नेशनल स्टेडियम में अपने अंतरराष्ट्रीय करियर की शुरुआत की। सिर्फ 16 साल की उम्र में उन्होंने पाकिस्तान के दिग्गज गेंदबाज़ों का सामना किया और 24 साल बाद 2013 में ‘क्रिकेट का भगवान (God of Cricket)’ बनकर मैदान को अलविदा कहा। उनके अद्भुत सफर की पूरी कहानी पढ़ें।”

16 साल का लड़का ‘भगवान’ बन गया… एक ऐसा सफर जिसे दुनिया ने सलाम किया

15 नवंबर 1989, कराची का तपता हुआ नेशनल स्टेडियम (National Stadium)।
हजारों की भीड़, तेज़ नारे, और पाकिस्तान की आग उगलती गेंदबाज़ी। इसी कोलाहल में भारतीय जर्सी पहने एक 16 साल का पतला-दुबला, घुंघराले बालों वाला लड़का शांति से मैदान में उतरता है। चेहरा मासूम, लेकिन आँखों में आग…

कमेंट्री बॉक्स में बैठे विशेषज्ञ हँसते हुए बोले—
“बच्चे को क्यों उतार दिया? ये तो अभी दूध पीने की उम्र का है!”

लेकिन दुनिया को क्या पता था—
यह बच्चा दिग्गजों को ‘दूध पिलाने’ आया था।

सामने कौन थे? दुनिया के सबसे खतरनाक गेंदबाज़

पाकिस्तान के पास उस सीरीज़ में दुनिया का सबसे दमदार आक्रमण था—

  • इमरान खान
  • वसीम अकरम
  • वकार यूनुस
  • अब्दुल कादिर (मैजिक स्पिनर)

एक 16 साल के लड़के के लिए यह किसी रणभूमि जैसा था, लेकिन सचिन रमेश तेंदुलकर पीछे हटने वालों में नहीं थे।

कराची में ‘सिंह गर्जना’ — सचिन का पहला बड़ा धमाका

सचिन ने अब्दुल कादिर की गेंद आगे बढ़कर जो शॉट खेला, वह सिर्फ एक रन नहीं था—
वह दुनिया को दी गई घोषणा थी कि एक तूफान आ चुका है।

कादिर ने उकसाया—
“अगर मार सकते हो तो मारो!”

और सचिन ने एक ओवर में 18 रन ठोककर जवाब दिया।

भीड़ खामोश…
कमेंटेटर हैरान…

एक नया स्टार जन्म ले चुका था।

24 साल का सफर – एक लड़का, एक देश, एक भावना

जो सफर 15 नवंबर 1989 को शुरू हुआ, वह 15 नवंबर 2013 को इतिहास बनकर समाप्त हुआ।

इन 24 वर्षों में सचिन—
➡ दुनिया के सबसे बड़े बल्लेबाज़ बने
➡ करोड़ों भारतीयों की धड़कन बने
➡ और अंत में कहलाए — ‘क्रिकेट का भगवान (God of Cricket)’

सचिन सिर्फ खिलाड़ी नहीं, वे एक युग, एक भावना और एक धुन थे जिसने देश को जोड़कर रखा।

रिकॉर्ड जो आज भी ‘लेजेंड’ कहलाते हैं

  • 200 टेस्ट (Test) मैच
  • 463 वनडे (ODI)
  • 100 अंतरराष्ट्रीय शतक
  • 34,000+ इंटरनेशनल रन

2011 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा

दुनिया के किसी भी खिलाड़ी का सबसे लंबा करियर — 24 वर्ष

ये आंकड़े नहीं, एक महाकाव्य हैं।

2013 — वह दिन जब मैदान भी रो पड़ा

15 नवंबर 2013 को वानखेड़े स्टेडियम में आखिरी बार सचिन मैदान पर उतरे।
उनकी विदाई स्पीच, उनकी आवाज की कंपकंपी, भीड़ का भावनात्मक शोर…
सब बता रहा था कि एक युग का अंत हो रहा है।

देश ने एक आवाज़ में कहा—
“थैंक यू सचिन”

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